ऐ दरिंदों सुनो अपनी कहानी,
क्या बनने तुम इस पावन, जग में आये थे,
यहाँ आकर तुम क्या बन गए ??
यहाँ आकर तुम क्या बन गए।।
ऐ दरिंदों सुनो अपनी कहानी,
नौ माह तक खुद तपकर, तेरी माँ ने,
जब तुझे इस संसार में लाई होगी,
मन ही मन माँ कई, अरमान सजाई होगी,
तुम तो हर माताओं के,
सीने को ही छल्ली कर गए,
सीने को ही छल्ली कर गए।।
ऐ दरिंदों सुनो अपनी कहानी
खुद से कुछ भी काम करते,
तो जरूर तुम इंसान बनते,
माँ बहनों की अस्मत लूट कर,
डरा धमका कर, जला कर,
आखिर क्यों तुम दरिंदे बन गए,
आखिर क्यों तुम दरिंदे बन गए।।
अब तुम सुनो ऐ दरिंदे,
तेरा अंजाम कितना बुरा होगा,
बीच सड़क पर तेरे जिस्म को,
चीरकर नमक डाल दिया जायेगा,
तड़पा तड़पा कर तुझे मारा जायेगा,
तड़पा तड़पा कर तुझे मारा जायेगा।।
अंततः तुम सुनो ऐ दरिंदे,
मौत की ही नींद तुझे सुला दिया जायेगा,
मौत की ही नींद तुझे सुला दिया जायेगा।।
✍✍ हरे कृष्ण प्रकाश
(पूर्णियाँ युवा कवि)
बेहतरीन।।।। चेतावनी।।।।
ReplyDeleteबेहतरीन।। चेतावनी
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