ठन गई कोरोना से अब ठन गई -सजल श्रीवास्तव
Sahitya Aajkal:- हरे कृष्ण प्रकाश(युवा कवि)
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शीर्षक:- ठन गई कोरोना से अब ठन गई
ठन गई, कोरोना से अब ठन गई,
मौत,बनकर कोरोना, चाल अपनी चल गई।
ठहर गई है जिंदगी, रफ़्तार उसकी थम गई,
अमीर हो या फिर गरीब हो आदमी,
खास हो या फिर आम हो आदमी,
देख सामने मौत, हैं यहाँ बेबस सभी,
ठन गई, कोरोना से अब ठन गई,
मौत,बनकर कोरोना, चाल अपनी चल गई।
बीमारी ये घातक, जिसकी कोई दवा नही,
खतरनाक ये वायरस, आंखों से दिखता नही,
आदमी से आदमी में फैलकर ही रुकता नही,
फेफड़ों को जाम करता, इंसान फिर बचता नही,
ठन गई, कोरोना से अब ठन गई
मौत,बनकर कोरोना, चाल अपनी चल गई।
रोक सकते हैं इसे सिर्फ,
दूरी बनाकर एक दूसरे से,
धोते रहें हाथ बार बार साबुन से,
ढक कर रखें चेहरे को हमेशा कपड़े से,
और बचते रहें मुँह को छूने से,
जंग जीतेंगे हम, तभी इस महामारी से,
लॉक डाउन में नही निकलेंगे,
जब घर की चारदीवारी से।।
✍️ सजल श्रीवास्तव
(जल प्रहरी)
वाराणसी, उत्तरप्रदेश
💞Sahitya Aajkal💞
हरे कृष्ण प्रकाश
पूर्णियाँ, बिहार
7562026066
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