4/30/20

प्रेम ईश्वर की अलौकिक देन है- by:- हरे कृष्ण प्रकाश


प्रेम ईश्वर की अलौकिक देन है:- हरे कृष्ण प्रकाश

प्यार क्या है? प्रेम किसे कहते हैं? प्रेम की परिभाषा क्या है? इतने सारे सवाल प्रेम के लिए मन में उत्तपन होती है परन्तु जितनी भी तथ्यों को जानते हैं इतनी और जाने की जिज्ञासा मन में उत्तपन होती है। आइये आज हरे कृष्ण प्रकाश द्वारा रचित कविता के माध्यम से प्रेम की सम्पूर्ण परिभाषा को जानते हैं।
Sahitya Aajkal:- हरे कृष्ण प्रकाश (युवा कवि)
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शीर्षक:- प्रेम ईश्वर की अलौकिक देन है

   दो दो दिलों के मेल की,
   भाव ही प्रेम है,
   प्रेम ईश्वर की अलौकिक देन है।।

   अपनों से अपनों को,
   जोड़ता प्रेम है,
   नफरतों को दिल से,
   मिटाता प्रेम है,
   प्रेम ईश्वर की अलौकिक देन है।।

   दो दिलों के मेल की,
   भाव ही प्रेम है,
   प्रेम ईश्वर की अलौकिक देन है।।

   दुःख को हटाता,
   ये सुख का द्वार है,
   दूर होकर भी पास सा,
   कराता एहसास प्रेम है,
   प्रेम ईश्वर की अलौकिक देन है।।

   दो दिलों के मेल की,
   भाव ही प्रेम है,
   प्रेम ईश्वर की अलौकिक देन है।।

   अनजाने शहर में,
   सुने सफर में,
   बाधाओं के समर में भी,
   संबल देता बस प्रेम है,
   प्रेम ईश्वर की अलौकिक देन है।।

   दो दिलों के मेल की,
   भाव ही प्रेम है,
   प्रेम ईश्वर की अलौकिक देन है।।

   कटुभाव को दूर कर,
   मधुरभाव जगाता प्रेम है,
   द्वेष ईर्ष्या नाश कर,
   अटूट विश्वास बनाता प्रेम है,
   प्रेम तो जगत् में अनमोल है।।
   दो दिलों के मेल की,
   भाव ही प्रेम है,
   प्रेम ईश्वर की अलौकिक देन है।।
   
                   ✍️ हरे कृष्ण प्रकाश
                   (युवा कवि, पूर्णियाँ, बिहार)

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         हरे कृष्ण प्रकाश 
         पूर्णियाँ, बिहार
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