एक बात सुनो ना
Ek Baat Suno Naa :- हरे कृष्ण प्रकाश
#कोरोना महासंकट के घड़ी भी जब कोई अचानक सड़क पर आ जाते हैं जैसे मुंबई के बांद्रा में अचानक हुई थी उसी पर केंद्रित है या रचना । जरूर पढ़ें और ध्यान रखें...।
मुक्तक :-
समाज के दुश्मनों, तुम्हें ऐसा लगता है कि,
तेरे रोज रोज सड़कों पर निकलने से,
सरकार डर जायेगी, हुआ यूं कि ..हुआ यूं कि
जमकर वहाँ मार तुम खाये,
हम घरों में बैठ चैनल का TRP बढ़ाएं।
जी हाँ हम घरों में बैठ चैनल का TRP बढ़ाएं।
शीर्षक:- एक बात सुनो ना.... ...
अपनी चिंता छोड़ राष्ट्रहित हेतु,
हम सभी अपने अपने घरों में हैं,
स्वस्थ्य हैं, सुरक्षित संग अपनों के हैं,
एक बात उठ बैठ या कान खोलकर,
तुम सुन लो, लाख गुना तुमसे बेहतर हैं।
हाँ ... हाँ लाख गुना तुमसे बेहतर हैं।।
एज बात सुनो ना, हाँ तुमसे ही कहता हूँ,
हाँ जी हाँ सुन तो लो, तुम्ही को कहता हूँ,
देशप्रेमी जहाँ हैं, वहीं कस्ट सहकर भी चैन से हैं,
हाँ जी हाँ वे लोग घरों में अमन चैन से हैं,
जग में आखिर तुम क्यों इतने बेचैन से हो?
आखिर तुम क्यों इतने बेचैन से हो?
क्या तुम्हें अपनी परिवारों की चिंता नही?
क्या तुम्हें अपने देश की तनिक भी चिंता नही ?
बात बात पर जहाँ मन हुआ वहाँ बीच सड़क,
स्टेशनों पर, अन्य स्थलों पर जमात लगा रहे हो!!
हो क्या गया है आखिर तुम्हें,
क्यों इतना मनुज को पगला रहे हो?
हाँ बोलो ना क्यों मनुज को पगला रहे हो?
ना तुम बचोगे ना किसी को बचने दोगे,
ये कैसा नुस्खा हाँ जी हाँ ये कैसा नुस्खा,
अपनी ही बिरादरी में तुम आजमा रहे हो?
खुद बदनाम होकर निर्दोष को बदनाम कर रहे हो!
आखिर क्यों सम्पूर्ण देशवासियों के साथ,
तुम प्रायः ऐसा ही खिलवाड़ कर रहे हो?
रहम कर दुनियाँ पर, अफवाहों से दूर रह,
ईश्वर, अल्लाह सब हैं घरों में,
है विश्वास तो कम से कम उनसे तो डर,
कोरोना महासंकट पर विजय प्राप्त करने हेतु,
बस खुद को खुद से जंजीरों में तो कर,
बस खुद को खुद से जंजीरों में तो कर।।
✍️ हरे कृष्ण प्रकाश
युवा कवि पूर्णियाँ
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