5/1/20

अब चले भी जा, जा रहे कफ़न के संग में- आनन्द कुमार मिश्रा


अब चले भी जा, जा रहे कफ़न के संग में- आनन्द कुमार मिश्रा

Sahitya Aajkal:- हरे कृष्ण प्रकाश (युवा कवि)
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शीर्षक:- अब चले भी जा, जा रहे कफ़न के संग में

  अब चले भी जा, जा रहे कफ़न के संग में।
  ठहर गयी दूनियाँ तेरे आने के गम में,
  अब चले भी जा, जा रहे कफ़न के संग में।
  अब इतना ना रुला की जी ना पाए,
  अब इतना ना सता की मर ना पाएँ।
  अब चले भी जा,जा रहे कफ़न के संग में।
  हम भी इंसाँ है कोई गैर नहीं,
  हमें सजा दें मंजूर है पर बैर नहीं,
  अब चले भी जा,जा रहे कफ़न के संग में।
  अभी परेशान है, खैर कोई बात नहीं,
  बचने की आशा है, झुकने की बात कोई  नहीं,
  मिटा देंंगे तूझे, तेरी कोई खैर नहीं,
  अब चले भी जा,जा रहे कफ़न के संग में।
  हम लेंगे खुली सांसे कोई बेचैन नहीं ,
  हम मुस्कुरायेंगे तेरी कोई यादें नहीं।
  अब चले भी जा, जा रहे कफ़न के संग में।
  इतिहास रखेगा याद, खैर कोई बात नहीं,
  भविष्य तुझे याद करेगा,
  पर डरने की कोई बात नहीं।
  अब चले भी जा, जा रहे कफ़न के संग में।।
                     ✍️ आनंद कुमार मिश्रा
                      फारबिसगंज,अररिया(बिहार )


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         हरे कृष्ण प्रकाश 
         पूर्णियाँ, बिहार
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