5/18/20

तुमने कैसा है सितम ढाया By:- अमर आकाश

तुमने कैसा है सितम ढाया By:- अमर आकाश

Sahitya Aajkal:- हरे कृष्ण प्रकाश (युवा कवि)
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शीर्षक:- तुमने कैसा है सितम ढाया

  वाह रे कोरोना वाह,
  तुमने कैसा है सितम ढाया,
  पूरी दुनिया में तबाही मचाया,
  कहीं भूख, कहीं प्यास,
  और तो और कहीं बिना,
  ईलाज से लोग मर रहे हैं,
  वाह रे कोरोना वाह,
  तुमने कैसा है सितम ढाया।।

  यह कैसा तूने मौत का खेला-खेल,
  बिना धर्म, जाति और उम्र देखे,
  मौत के घाट उतारा,
  वाह रे कोरोना वाह।
  तुमने कैसा है सितम ढाया।।

  बहुत कर चुका है मौत का तांडव,
  अब हमलोगों ने ठाना है,
  तुम्हें जड़ से मिटाना है,
  इसके लिए उपाय करेंगे,
  सरकार के नियमों को स्वीकार करेंगे।

  मुँह पर मास्क रखेंगे और,
  हाथ रगड़-रगड़ साफ करेंगे,
  आपस में रखेंगे हम दूरी जिससे,
  ऐ कोरोना तेरी इच्छा ना होगी पूरी।।

  इस तरह हम एक जुट,
  हो कर प्रयास करेंगे,
  कोरोना का विनाश करेंगे,
  इस संकट की घड़ी को पार करेंगे।।
                  ✍️  अमर आकाश
                  श्रीनगर, पूर्णिया (बिहार)

      
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         हरे कृष्ण प्रकाश 
         पूर्णियाँ, बिहार
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