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5/11/20

हे प्रभु बचा लीजिए By:- मनानंद हर्ष

 हे प्रभु बचा लीजिए By:- मनानंद हर्ष (शिक्षक)

Sahitya Aajkal:- हरे कृष्ण प्रकाश (युवा कवि)
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शीर्षक:- हे प्रभु बचा लीजिए

हे प्रभु! मन बहुत परेशान है, बचा लीजिए।
दुनिया बहुत परेशान है, बचा लीजिए।
अब कोरोना का कहर, सहा नही जाता,
मन बहुत अधीर है, कहा नही जाता।।
बहुत हो चुका क्रूर काल का खेल,
अब कर दो निःशेष कोरोना का मेल।

हे प्रभु! कोरोना से जीवन चुरा लिजिए,
दुनिया बहुत परेशान है, बचा लीजिए।
कोरोना-योद्धा के विषय में क्या कहूं,
डॉक्टर, नर्स, पुलिस के विषय में क्या कहूं,
जमातियों के दुष्कर्म के विषय में क्या कहूं,
लॉक-डाउन में जनमानस के विषय में क्या कहूं,
बहुत हो चुकी काल की विकरालता,
आ जाइए, हे प्रभु!
मन बहुत परेशान है, बचा लीजिए।

सरकार की अधीरता देखी नहीं जाती,
निर्धनों की विवशता देखी नहीं जाती,
मुझ जैसी की आकुलता देखी नहीं जाती,
कराह रही मानवता देखी नही जाती,
हे प्रभु, भवसागर को पार लगाने आ जाइए,
दुनिया बहुत परेशान है, बचा लीजिए।

उन्नति के द्वार सारे बंद है,
एक दूसरे से प्यार सारे बंद है,
विकास के कार्य सारे बंद है।।
हे प्रभु! बंद द्वार अब खोल दीजिए,
दुनिया बहुत परेशान है बचा लीजिए।।

        ✍️मनानंद हर्ष (शिक्षक)
          रूपौली, पूर्णियाँ (बिहार)

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         हरे कृष्ण प्रकाश 
         पूर्णियाँ, बिहार
        7562026066
नोट:- सभी कविताएँ साहित्य आजकल के youtube पर अपलोड कर दी जाएगी।

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