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5/17/20

उगते सूरज, ढलते शाम By:- सुलेखा सुमन

 उगते सूरज, ढलते शाम By:- सुलेखा सुमन

Sahitya Aajkal:- हरे कृष्ण प्रकाश (युवा कवि)
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शीर्षक:- उगते सूरज, ढलते शाम By:- सुलेखा सुमन

   दिन महीनों सालों की तपस्या,
   अदम्य परिश्रम और त्याग की,
   ये हर सीमाएं लांघती है,
   ये UPSC है,
   बहुत कुछ मांगती है।।

   तुम कितना पढ़ते हो,
   तुम पढ़ते हो या बस
   लाइब्रेरी में सड़ते हो,
   तुम्हारे हर दिन,
   हरपल की हिसाब,
   ये सब जानती है,
   ये UPSC है,
   बहुत कुछ मांगती है।।

   वक्त की इज्जत,
   बेहिसाब मेहनत,
   उगते सूरज, ढलते शाम
   और पढ़ रहे तुम,
   ये दिन और रात को,
   एक हीं जानती है,
   ये UPSC है,
   बहुत कुछ मांगती है।।

   सपने सच करने की चाहत,
   चाहत को हकीकत,
   बनाने की जरूरत,
   और कुछ कर दिखाने की
   जुनून मांगती है,
   ये UPSC है,
   बहुत कुछ मांगती है।।

   हो देश को बदलने का सपना,
   या हो हर व्यक्ति तक,
   लाभ पहुंचाने की इच्छा,
   ये तुम्हें हर दिन हराने,
   में हीं सुकून माँगती है,
   हार कर जो उठ,
   खड़ा हो हर बार,
   ये उसी को करना,
   सलाम जानती है,
   ये UPSC है दोस्तों,
   बहुत कुछ मांगती है।।
               ✍️  सुलेखा सुमन
             नौगछिया, भागलपुर (बिहार)
       
     

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         हरे कृष्ण प्रकाश 
         पूर्णियाँ, बिहार
        7562026066
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