5/20/20

कवि हूँ मैं कलयुगी-By:- कुमार गौरव मिश्रा


शीर्षक:- कवि हूँ मैं कलयुगी-By:- कुमार गौरव मिश्रा

Sahitya Aajkal:- हरे कृष्ण प्रकाश (युवा कवि)
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शीर्षक:- कवि हूँ मैं कलयुगी-
कवि हूँ मैं कलयुगी,
करता मैं बातें आज की,
बनाता नहीं जलेबी कभी,
बातों को घुमाता नहीं।।

कवि हूँ मैं कलियुगी,
तटस्थ रहता इतिहास से,
नहीं गढ़ता शब्द भविष्य के,
मैं लेखनी वर्तमान की।।

कवि हूँ मैं कलयुगी,
न डरता किसी भी वाद से,
संवाद करूँ तर्क से औ तथ्य से,
बात होगी साफ़-सूथरी।।

कवि हूँ मैं कलयुगी,
परवाह मैं करता नहीं,
रूख ज़रूर लचीला मग़र,
कड़वा सच पहचान मेरी।

कवि हूँ मैं कलयुगी,
टोपी मैं पहनूँ नहीं,
किसी की जय बोलूँ नहीं,
औलाद अपने बाप की।।
          ✍️- कुमार गौरव मिश्रा
            (सिविल सेवा अभ्यर्थी)
            नई दिल्ली - 110059



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         हरे कृष्ण प्रकाश 
         पूर्णियाँ, बिहार
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