6/8/20

रोते क्यों माँ-बाप By:- बाबा बैद्यनाथ झा

Sahitya Aajkal:- हरे कृष्ण प्रकाश (युवा कवि)
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शीर्षक:- रोते क्यों माँ-बाप By:- बाबा बैद्यनाथ झा 

एक   प्रश्न  मेरा   है  सबसे,   उत्तर   देंगे  आप। 
पढ़े-लिखे   बेटों  के  ही  क्यों, रोते हैं  माँ-बाप? 

जन्म दिया फिर पालपोस कर जिसे बनाया योग्य। 
बहुत  कष्ट  से  जिसे  पढ़ाया, बेटा  बना  सुयोग्य। 
फिर  वह  बेटा  अधिकारी  बन,  देता  है  संताप।।

वृद्धाश्रम  में  जाकर  पूछें, उनसे दिल की बात।
सबके  बेटे  उच्च  पदों पर, बड़ी-बड़ी औक़ात।
फिर क्यों ठेला घोर नरक में, करे भयंकर पाप।।

भौतिक शिक्षा नहीं सिखाती, नैतिकता का ज्ञान।
पढ-लिख कर जो करे नौकरी, कहलाता विद्वान। 
वही स्वार्थ में अंधा होकर  बन जाता अभिशाप।।

जिनके  बेटे परम मूर्ख हैं, उनके घर  जा देख।
सेवा वे  भगवान समझकर, करे देख या रेख। 
उनसे सीखेंगे क्या हमसब,जो दे अद्भुत छाप।।
पढ़े-लिखे   बेटों  के ही क्यों, रोते हैं माँ-बाप?
               ✍️ बाबा बैद्यनाथ झा
           हनुमान नगर, श्रीनगर हाता, 
                   पूर्णियाँ (बिहार)


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         हरे कृष्ण प्रकाश 
         पूर्णियाँ, बिहार
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1 comment:

  1. लाजवाब , उत्कृष्ट और अद्भुत !!


    आधुनिकता की मानसिकता पर करारा चोट और कई प्रश्नों को (,जिसका उत्तर शायद ही वर्तमान दे पाये ) विचाराधीन करती प्रत्येक पंक्तियाँ सधी हुई अपनी ओर बरबस ही खींचती हैं

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