7/16/20

हर आपदा में क्यों मरे मजदूर ?-By-mzf kabir

Sahitya Aajkal:- हरे कृष्ण प्रकाश 
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शीर्षक:- हर आपदा में क्यों मरे मजदूर ?
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भूख से तड़पकर, मौत से लड़कर
घर पहुंचा मजदूर पैदल चलकर।
नर्क की तमाम तकलीफों को झेला उसने
स्वर्ग का निर्माण अपने हाथों से किया जिसने।

अभावग्रस्त जीवन क्यों जिए मजदूर ?
हर आपदा में क्यों मरे मजदूर ?

जिसने अपने खून से हर शहर को बसाया
पसीने से हर गली, हर दीवार को चमकाया
उसी ने दुनिया की हर चीज को बनाई है
जिसे हर सरकार ने लॉकडाउन में मरने को छोड़ दी है।

हर ज़ुल्म का शिकार क्यों बने मजदूर ?
हर आपदा में क्यों मरे मजदूर ?

जो मर रहे थे शहरों में भूख से लड़कर
मिली ना उन्हें इससे मुक्ति अपने-अपने घर आकर।
जो झेल रहे हैं आज बेरोजगारी की मार
उन्हें झेलना है अब छोड़े गए पानी की बाढ़।

कृत्रिम त्रासदी को क्यों झेले मजदूर ?
हर आपदा में क्यों मरे मजदूर ?

गर हम मजदूर रहें एकजुट
रहे विरोध, पर ना रहे आपसी फूट
तो अपने पसीने की पूरी कीमत ले पाएंगे हम।
श्रम की हर लूट को बंद कर पाएंगे हम।।

सही वक्त में क्यों बिखरा रहे मजदूर ?
हर आपदा में क्यों मरे मजदूर ?
                  ✍🏽 mzf kabir

(नोट : कोई भी व्यक्ति जो अपने शारीरिक या मानसिक या दोनों प्रकार के श्रम द्वारा अपनी आजीविका कमाते हैं, उसे मजदूर कहते हैं। यहां मजदूर का अर्थ तमाम मेहनतकश जनता से है।)
कविता को प्रवासी मजदूरों सहित तमाम मेहनतकश जनता व छात्र नौजवानों को शेयर करने की गुजारिश।
💞 Sahitya Aajkal 💞
         हरे कृष्ण प्रकाश 
         पूर्णियाँ, बिहार
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*Sahitya Aajkal*

2 comments:

  1. बहुत बेहतरीन कविता

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  2. मजदूरों की बेबसी को दर्शाती एवं एकजुटता बनाने का प्रयास करती बेहतरीन हृदयस्पर्शी, चिंतनीय कविता के लिए सहृदय बधाई!

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