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7/14/20

मुझे कुछ नहीं सुनना-By:- अंशु आँचल सिंह

Sahitya Aajkal:- हरे कृष्ण प्रकाश (युवा कवि)
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    "किसान"
मुझे कुछ नहीं सुनना
मैं किसान हूँ!

मुझे कुछ नहीं समझना
मैं मजदूर हूँ!

मैं मनुष्यों में सबसे
निचले स्तर का हूँ,

मैं किसान हूँ!

मुझे छोड़ कर
सबका विकास है,

सीता की तरह
किसानों का
वनवास है,

झूठे आश्वासनों से
पेट नहीं भरता,

विकास किसानों के
घर नहीं आता,

फसल सूख रहे हैं
पछुवाँ के मार से,

धरती क्षारीय हो गई है
कारखानों के वार से,

हर चीज़ का दाम
आसमान छू रहा है,

बस किसान मुँह
ताक रहा है,

इंधन का भाव
बेलगाम है,
खाद का भाव
चढ़ा सरेआम है,

भ्रष्टाचार का
नीति निर्माण है,

तुम निकाल लो
कोल्हू से तेल,

मैं किसान हूँ!
कोल्हू का
 बस पेलना हूँ,

तेरी बड़ी -बड़ी बातें,
उड़ते बादल सा
दिखता है,

कुछ क्षण सूखे
बज्र सा लगता है,

आपदा प्रकृति का
मुझे स्वीकार है,

आपदा तुम जो
दे देते हो, वह
मुझे अस्वीकार है,

मैं मनुष्यों में,
सबसे निचले स्तर का हूँ
मैं किसान हूँ।।
        ✍️अंशु आँचल सिंह
       सरसी, पूर्णियाँ (बिहार)
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         हरे कृष्ण प्रकाश 
         पूर्णियाँ, बिहार
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1 comment:

  1. "मानव में सबसे निचले स्तर का , मैं किसान हूँ ।"किसान की सार्थक बेबसी का व्यान करती बेहतरीन कविता के लिए आदरणीया कवयित्री श्रीमती अंशु आँचल सिंह को सहृदय बधाई ।

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