7/17/20

गुरू-उस्ताद बिन ज्ञान अधूरा-By:-मईनुदीन कोहरी

Sahitya Aajkal:- हरे कृष्ण प्रकाश 
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शीर्षक:-गुरू-उस्ताद बिन ज्ञान अधूरा-By:
        "गुरू पूर्णिमा"
मेरे उस्ताद जी मेरे गुरू जी,
मुझ पर अनन्त कृपा आपकी,
सौम्य अति प्रसन्न रुप आपका,
आपके दर्शन ही है सुखकारी।

तुम किसी संत से कम नहीं,
आपकी सुन्दर मूरत ही न्यारी,
ज्ञान का जो दान देकर मुझे,
आपने ही बनाया था संस्कारी।

मेरे मन के विकार सब दूर हुवै,
जब से गुरुवर दर्शन लाभ हुवै,
धर्म-कर्म दुनियाँ का ज्ञान दिया,
जीवन भर का मैं हूँ आभारी।।

गुरू-उस्ताद बिन ज्ञान अधूरा,
इनकी कृपा से ही जीवन पूरा,
सृष्टि की अतुल्य निधि हो आप,
"नाचीज" की नैया आपने तारी।
✍️मईनुदीन कोहरी "नाचीज बीकानेरी "
            बीकानेर, राजस्थान

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         हरे कृष्ण प्रकाश 
         पूर्णियाँ, बिहार
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1 comment:

  1. गुरू के ज्ञान के बिना जग अंधकारमय है!गुरू कृपा की लाजवाब कविता के लिए कवि मईनुदीन कोहरी जी को हार्दिक बधाई तथा अनंत शुभकामनाएँ !

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