8/5/20

अपना भी कल जय होगा-By:- निभा राय नवीन

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शीर्षक:-अपना भी कल जय होगा











अविरल धारा आँखों की, 
बह-बह कर ये कहती है l
अपना भी कल जय होगा, 
सिसक-सिसक कर रहती है l

आने वाला है चुनाव, 
जब घर -घर नेता दौड़ेंगे  l
कभी किसी के पैर पड़ेंगे, 
कभी हाथ को जोड़ेंगे  ll

आँखों में पानी है फिर भी, 
दिल मे आग सुलगती है   l
अपना भी कल जय होगा, 
सिसक-सिसक कर रहती है ll

मुझे देख कर राहों मे, 
कार तुरंत रुक जाएगी  l
ढौआ-कौड़ी भेंट चढ़ा कर, 
घर तक भी पहुँचाएगी   ll

किसने -कितने जख्म दिए, 
गिन-गिन कर आहें भरती  है  l
अपना भी कल जय होगा , 
सिसक-सिसक कर रहती है  ll
       ✍️ निभा राय नवीन
            (पूर्णियाँ , बिहार)

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         हरे कृष्ण प्रकाश 

         पूर्णियाँ, बिहार

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1 comment:

  1. अति सुन्दर रचना के लिए आदरणीया कवयित्री श्रीमती निभा राय जी को सहृदय बधाई एवं शुभकामनाएँ ।

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