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#शीर्षक:- "#इंसाफ_की_आरज़ू_है."
हर ओर इंसाफ की लहर है,
मुश्किल ना कोई डगर है,
तुझे धरा से भेजने वालों की,
जिन्दगी ना अब सरल है।।
इंसाफ की आरज़ू है,
बस इंसाफ की आरज़ू है।।
जो था जग में, एक चमकता तारा।
रुपहले पर्दों का, था वो बड़ा सितारा।।
प्यारी बहनों का वह बहुत प्यारा,
पिता के बुढ़ापे का जो था सहारा।।
रिया आखिर तुमने क्या क्या किया,
प्रेम में फसा क्यों जीवन उलझा दिया।।
एक दीपक तो तुम जला सकते नही,
घर का दीपक क्यों पलभर में बुझा दिया।
सुन लो परिवार को रुलाने वालों,
बिहार के लाल को मिटाने वालों
बहुत ढाया है ना तुमनें कहर,
बेचैन रहोगे देखेगा शहर शहर।
हर ओर इंसाफ की लहर है,
मुश्किल ना कोई डगर है,
तुझे धरा से भेजने वालों की,
जिन्दगी ना अब सरल है।।
इंसाफ की आरज़ू है,
बस इंसाफ की आरज़ू है।।
@✍️ हरे कृष्ण प्रकाश
(पूर्णियाँ ,बिहार)
href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEilOtwJ3Yy-wV5jxhzinePu3HXbfxY3L3libUZ2op5K2UfAy13P1U9IO64ySkknyeVbckoHtI2G4ME8E67AohZodqI_jCNmmOwmjdEowd4Jrz8gm8M06DOP84UDwLsh_TycDNy_hi6aQcOl/s2580/20200901_105212.jpg" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;">यदि आप अपनी प्रस्तुति Sahitya Aajkal की Official Youtube से देना चाहते हैं तो Whatsapp video करें 7562026066
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धन्यवाद
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Nice
ReplyDeleteBahut sahi kha aapne
ReplyDelete'एक दीपक तो तुम जला सकते नहीं ,किसी के घर का दीपक क्यों तुने बुझा दी ? 'इंसाफ की मांग करती बेहतरीन मर्मस्पर्शी कविता के लिए सहृदय बधाई!
ReplyDeleteअति सुन्दर एवं सारगर्भित रचना।
ReplyDeleteसप्रेम आभार
Deleteमर्मस्पर्शी भावाअभिव्यक्ति
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