11/4/20

करवाचौथ स्पेशल - प्रोग्राम साहित्य आजकल

सर्वप्रथम करवाचौथ के शुभअवसर पर सभी को बहुत बहुत बधाई सह ढेरों शुभकामनाएं। आज के इस पावन अवसर पर साहित्य आजकल के द्वारा करवाचौथ स्पेशल - प्रोग्राम साहित्य आजकल का आयोजन किया गया है जिसमें कई रचनाकारों ने एक से बढ़ कर एक  बेहतरीन स्वरचित रचना के माध्यम से प्रोग्राम को यादगार बना दिया है। सभी रचनाकारों की रचना नीचे एक एक कर दी जा रही है। आप सभी पढ़ें और प्रतिक्रिया दे कर रचनाकारों का उत्साहवर्धन अवश्य करें।

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 करवाचौथ रचना न:- ( 01 )
शीर्षक:- करवा चौथ 

सौभाग्यवती का पावन पर्व,

सिन्दूर  से  माँग सजाती है।

दीर्घायु  की  कामना  करती,

पत्नी करवा चौथ मनाती है।

          सोलह श्रृंगार से सजती सजनी,

       मेहंदी  हाथ   सजाती  अपनी।

        पति का प्यार पाती अर्द्धांगिनी,

         आज मुस्काई चाँद की चाँदनी।

आज चलनी से जो देखती चाँन,

पति के हाथों  करती जल पान। 

उसे सदा सुहागन का दे वरदान,

चन्द्र देव   हो  गये  अन्तर्ध्यान।

        पत्नी वही पति धर्म निभाए,

         सुख - दुख में वो सदा सहाय।

          सास -ससुर  बड़ों का  आदर,

       सेवा से स्वर्गीक सुख पाय।

गृहिणी गृह की होती लक्ष्मी,

सदा  दीजिए  मान सम्मान।

जहाँ पूजनीया होती नारियाँ,

वहाँ   प्रसन्न  होते  भगवान।

        करवा  चौथ  या तीज  करै ,

        व्रत उपवास कर ध्यान धरै।

        पुत्र पौत्रादि से घर भर जाए,

        मंगल कामना पूर्ण हो जाए।

*************************

यह मेरी मौलिक एवं सुरक्षित रचना है।

           ✍️ विजय कुमार,*कंकेर*

                  औरंगाबाद, बिहार।

बहुत ही मधुर गीत जल्दी click करें वीडियो देखें




            करवाचौथ रचना न:- ( 02)

         शीर्षक:- करबा चउथ सबइया 

आई हबइ करबा केर चउथ, ता साया औ सारी लेआए परी हो  

चारि दिना से जरउसा चढ़ी, तबहूँ हमहूँ का नहाए परी हो 

शंकर थापे परी, पहिले सगले अंगने का लिपाए परी हो 

धोती मा नीक न लागब ता, नबा जींस बेसाहि के लाए परी हो


आपुन पार्लर जाइ रहीं, पर मोरे निता फुलई हबइ माटी  

मीजि के मूड़ नहाइ लिहा, रहि जाइ न मूड़े मा रुइसी औ खाटी  

तेल लगाइ निकारा जुआँ, खुब अइछिके चीकन पारा तू पाटी  

भूख लगी जो ता खाइ लिहा, गोरसी तर मूंदा हइ चोखा औ बाटी 


घाम से काला लुआठा भएन, जस कोइला खदान से आयन भाई 

साबुन सोडा फुलेल लगाएन, देह मा नाहिं देखान गोराई  

एंड़ी कबो पथरा मा घसी, खपड़ा से घसी नहिं जाइ बेबाई  

अत्ते मा प्यारी देखाइ परी, लकालक्क सजी, गमने जस आई 


दूरिन से बिदुराइ परी, अस नीक लगीं ऊ जोधइया के नाई  

फूल के नाईं हँसइ महकइ, बजे पाजेब लागइ बजइ शहनाई  

आज जबइ हँसि बोलति हइ, अस नीक लगे, मिसरी घुरि जाई  आने दिना बढ़नी कस नीछत, चाबत हांड़ा दतइया के नाईं 


✍️कवि सन्तोष पाण्डेय "सरित" 

     गुरु जी गढ़ रीवा (मध्यप्रदेश) 

अपने हाथों में चाँद छुपा रखा हूँ ! पूरा वीडियो देखने के लिए click करें




करवाचौथ रचना न:- ( 03 )

शीर्षक:- सरहद पर चाँद

************

आज करवा चौथ है

मगर थोड़ा अफसोस भी है

कि मेरी चाँद

अपनी चाँदनी से दूर

सरहद की निगहबानी में

मगशूल है।

फिर भी मुझे 

अपने चाँद पर गर्व है,

माँ भारती की सेवा/रक्षा

सबसे पहला धर्म है।

माना कि मेरा चाँद

मुझसे दूर है,

तो क्या हुआ?

मैं तो मन वचन कर्म से

अपना कर्तव्य निभाऊंगी,

खूब सज सवंर कर

नई नवेली दुल्हन बन

मन के भावों से

अपने साजन को दिखाऊंगी,

हँसी खुशी व्रत,पूजा पाठ कर

सारे धर्म निभाऊंगी,

माँ पार्वती, शिव,गणेश, करवा माई से

अपनी अरदास लगाऊँगी,

पति की सलामती का

आर्शीवाद लेकर रहूंगी,

चंद्रदेव का दर्शन कर

अर्घ्य चढ़ाऊँगी

आरती उतारुँगी,

फिर अपने चाँद का

चाँद में ही दीदार करुँगी,

तब जल ग्रहणकर

करवा चौथ का सुख पाऊंगी,

खुशी से अपने चाँद की खातिर

जी भरकर नाचूंगी, इतराऊँगी।

✍️सुधीर श्रीवास्तव

       गोण्डा(उ.प्र.)

©मौलिक, स्वरचित

बेटी हैं जग में तो हम सभी हैं जरूर सुनें गर्व करें बेटियों पर वीडियो देखें



करवाचौथ रचना न:- ( 04 )

 शीर्षक:- करवाचौथ

करवाचौथ का दिन आया

हर सुहागिन करती उपवास

पति के लिए

माँगे दुआएं लंबी उम्र का

करवाचौथ का दिन आया

काजल,बिंदी,सिन्दूर, चूड़ी, मेंहदी

सोलह  श्रृंगार करें

देखें चाँद को

पति के हाथ से पानी पीकर 

उपवास तोड़े

करवाचौथ का दिन आया

ख़ुशी से पहनू

पहनू लाल साड़ी

दुल्हन जैसे  श्रृंगार करके

देखें तेरा रास्ता

आ जा सजन मन हैं बेचैन

माँगू दुआ हर विपत्ति कट जाये

चारों तरफ तू ही तू नजऱ आये

करवाचौथ का दिन हैं प्यारा

सास के हाथ से सरगी खा कर

मन हो जाये तृप्त

तुम ही दी मेरे सजन

जो सुहागन 

करवाचौथ का दिन मिला 

आपके आशीर्वाद से

जोडूं पूरा  श्रृंगार देकर

 तुमकों आशीर्वाद सदा सुहागन का लू

करवाचौथ का दिन आया।।

✍️अर्पणा दुबे 

अनूपपुर मध्यप्रदेश।



               करवाचौथ रचना न:- ( 05 )

करवाचौथ विशेष कविता

शीर्षक-कशिश महताब जैसी

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कशिश तेरी महताब जैसी, 

महताब में नज़र तू आने लगी।


इश्क और मुश्क तुझसे दीवाना तेरा,

दिल की गली प्यार की इक कली लगाने लगी।


संग तू है तो और कोई नहीं मेरी हमराज़~ए~तमन्ना,

तेरे होने से वीरान दिल में रोशनाई आने लगी।


लाज़मी है चाँद का गुमाँ टूटना,

आखिर मेरी चाँद के आगे 

उसकी चमक फीकी पड़ने लगी।


जब से दो जिस्मों में एक जान बसने लगी,

प्यार की दुनिया आबाद होने लगी।

@अतुल पाठक "धैर्य"

जनपद हाथरस(उत्तर प्रदेश)



                 करवाचौथ रचना न:- ( 06)


शीर्षक:- करवा चौथ

कोरोना में देखा है

लोगों के रंग उड़ते

इस बार मुझे रचाना है

अपने हाथों में मेहंदी

हाथों को सजाना है

मानवता के गहरे रंग से

मेरे हाथों का सौंदर्य बढ़ 

जाएगा चौथ का सुंदर चाँद

हमारी खुशी चौगुनी कर जाएगा।

पैरों में सजेगा महावर 

ये महावर हमें मार्ग दिखायेगा

सद्कर्म की ओर हमें ले जाएगा

मेरे माथे का कुमकुम व बिंदिया

सोच को नयी दिशा दिखलायेगा

चलनी का चाँद मन को पवित्र

 विचारों की किरणों से भर देगा

करवा का शीतल जल हमारे मन 

को शीतल कर तृप्त कर देगा

मेरा देश अखण्ड सौभाग्यशाली

बनें जब उसे निहारें तो चारों ओर

खुशियों की किरणें बिखरी व 

लहलहाती  नज़र आये 

सब बहिनों के सुहाग अमर रहें

ऐसी खुशहाली देश की सीमा को 

आलोकित कर जाएँ।

हे चौथ के चाँद तुम सीमा पर 

सुहाग की किरणें बिखराओ।

हमारे सैनिक भाइयों को हे चाँद

अपने अमरत्व सुहाग से चमकाओ।

✍️मीना जैन दुष्यंत 

         भोपाल



                  करवाचौथ रचना न:- ( 07)

कविता :-  करवाचोथ 

मेरी निजी पत्नी 

             करवाचोथ पर रूठ गई।             

   उसको समझाते समझाते    

भूखी प्यासी रह गई    

                 बार बार देखू उसको निहारू                 

                     जीवन में मिठास केसे पाऊ                     

         आप समझें मै समझा केंसे उसे मनाऊ।      

                    जीवन एक संगिनी  बंधन हैं                  

सदा बहती रसधार है 

आज करवा चोथ है      

हर पल आज मैं उसे मनाऊं।।

✍️ प्रवीण पंड्या वसी 

    डूंगरपुर राजस्थान


                    करवाचौथ रचना न:- ( 08 )


**तुम मेरा चांद बन जाओ ना!!**

खिल उठा है ये मन,आज मेरा सजन,

तूं पिया है मेरा,मैं तेरी हूँ दुल्हन ।

प्यार में मेरे दिल को यूं तरसाओ ना,

तुम मेरा चांद बन जाओ ना..

हो,तुम मेरा चांद बन जाओ ना।


मांगती हूँ दुआं,साथ बस हो तेरा,

चांद की चांदनी ,रहूं बनके सदा।

अब तूं आंखों में बस जाओ ना,

तुम मेरा चांद बन जाओ ना,

हो,तुम मेरा चांद बन जाओ ना।


प्रीत कायम रहे,ओ मेरे साजना,

रात-दिन प्यार हो,बस करूं कामना ।

एक-दूजे में खो जाओ ना,

तुम मेरा चांद बन जाओ ना।

हो,तुम मेरा चांद बन जाओ ना।


                   ---प्रीतम कुमार झा ।

               महुआ, वैशाली, बिहार ।

प्रस्तुत रचना पूर्णतः मौलिक और स्वरचित है।



                   करवाचौथ रचना न:- ( 09 )

शीर्षक:-  करवा चौथ 🌹🌹🌹


करवा चौथ मनाऊ ऐसे 

लगे हर रोज़ ही ये उत्सव है।

नहीं चाहिए प्रीतम कुछ भी

बस सम्मान का गहना देना,

बाबुल का घर छोड़ मै आई

तुम मुझे वो अपना घर देना।

सजा सकू,सवार सकू, हर दीवार पे

नाम अपना लिख दू,

ये ही अनमोल दौलत होगी मेरी 

तुम मुझे यही तौहफा देना।

शब्दो की मर्यादा रखना, मै इसे ही

चुनरी समझ लूंगी।

विश्वास मुझ पर बनाए रखना, मै इसे 

ही पैरों की पायल समझ लूंगी।

अन्नपूर्णा हूं मै तुम्हारे घर की जो बनाती हूं 

उसमे जी जान लगा देती हूं,स्नेह,प्यार ,

समय सब उसमे मिला देती हूं,

जब वो खाना खाओ तो प्रसाद उसे तुम समझ लेना।

मैं अर्धागीनी हूं तुम्हारी,

तुम्हारे अंग में,तुम्हारे घर में,

तुम्हारे सभ्य समाज में,तुम्हारे परिवार में,

तुम्हारे कुल में,मेरा आधा हिस्सा है।

वो अधिकार मेरा है,

मेरे वजूद से तुम्हारा भी वजूद जुड़ा है।

पर मै जताती नहीं हूं।

इक छोटी सी आशा रखती हूं,

जब भी करवाचौथ आए तुम पास रहो मेरे।

साथ रहो मेरे।

क्युकी तुमसे ही मेरी दीवाली,

तुमसे तीज त्यौहार,तुमसे ही मेरी होली।

चांद भी तुम हो,

तो क्यों देखू मै उसे,

बस तुम रखो साथ अपने सदा मुझे,

यही इक छोटा सा वादा चाहिए तुमसे 

मुझे।।

✍️ नगेन्द्र बाला बारेठ

हाल निवासी दिल्ली

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करवाचौथ रचना न:- ( 010 )

शीर्षक:- अखण्ड सुहाग व्रत करवा चौथ

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 करूं अखण्ड सुहाग की कामना,

जीवन में न होवे कष्टों से सामना।

रहूं सौभाग्यवती करूं करवा चौथ,

सच्चे मन से करूं ईश्वर से प्रार्थना। 


पति मेरे सुख दुःख के सच्चे साथी,

सोलह श्रृंगार कर बनी जीवनसाथी।

पूजा कर आरती चांद का मैं उतारूं,

लंबी उम्र की कामना हृदय में लाती।


 है पावन बहुत करवा चौथ का व्रत, 

चांद के दीदार कर सुहागन तोड़े व्रत। 

खिला पूनम का चांद मन को भाता,

भारतीय नारियों का करवा चौथ व्रत। 

 

दांपत्य जीवन में सुखद पल है लाते,

लम्बी उम्र पाकर साजन दीर्घायु होते। 

मिट्टी के करवे में है देखो प्यार उमड़े,

सुख-शांति घर में समृद्धि भी आते।


सोलह श्रृंगार कर करती अर्ज नारी,

हे मां आशीष दो मैं आंचल पसारी। 

रहे अखंड सुहाग सजे सिंदूर हमारा,

जन्मों का बंधन न टूटे जोड़ी हमारी।

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            स्वरचित रचना 

         सुनीता रानी राठौर

        ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश)

           गृह नगर- पटना

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करवाचौथ रचना न:- ( 011)

करवाचौथ पर विशेष

छोड़कर घर परिवार भाई बान्धवों को

एक अजनबी संग बंधी चली आती है


अपनों से ज्यादा इस नये परिवार बीच

खुशी खुशी खरा प्यार अपना लुटाती है


रखती है पति के समग्र ही विकास हेतु

चौथ मैय्या जी का ब्रत फूले न समाती है


ऐसी हर नारी पे दयाल हो भवानी भी तो

अपनी कृपा के कृपा फूल बरसाती है


                ✍️  विष्णु असावा

                  बिल्सी ( बदायूँ )


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करवाचौथ रचना न:- ( 012 )

शीर्षक:- करवाचौथ रखने का जिद

करवाचौथ रखने का जिद

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मेरे पति जी अनुनय से

बोले, करवाचौथ रख लो।

मेरा भी उम्रे बढाके

जीवन में खुशियाँ भर दो।

मैं बोली हे स्वामी प्रिय

   आप लिए तिज रखती हूँ।

    आपको कुछ हो ना जाय

 आगे-पीछे फिरती हूँ।

पति हेतु एक व्रत काफी

दूजा ख्यालें रखते हो।

ख्वाबें!उम्र बढ जाने की

पर खर्चों से डरते हो।

     हाँ!करवाचौथ भी रख लूँ

    मैं उस पल से डरती हूँ।

तेरे काले स्थूलों से

     मान डुबो से बचती हूँ।

जब तू आगे आओगे

काली रजनी रोयेगी।

चाँद देख भी लूँ मैं तो

पर रात काली होवेगी।

 ✍️  प्रभाकर सिंह

   भागलपुर बिहार


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धन्यवाद

हरे कृष्ण प्रकाश

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    धन्यवाद

नगद पुरस्कार व सम्मान पत्र देकर समानित किया गया देखें 

9 comments:

  1. सहित्य आजकल के पटल पर करवा चौथ के पावन त्यौहार पर बहुत ही सुंदर रचनाकारों की कविता के माध्यम से भावाभिव्यक्ति।
    सभी रचनाकारों को बहुत-बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं,🙏🌹🙏
    संचालक और संपादक महोदय को हमारी रचना प्रकाशित करने हेतु हृदय तल से आभार और बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏🌹🙏

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    1. आपका तहेदिल से शुक्रिया आदरणीया आपने टीम के उत्साहवर्धन हेतु और मुझे भी उत्साहित करने हेतु अपना बहुमूल्य समय निकालकर प्रतिक्रिया दिया इसके लिए पुनः तहेदिल से शुक्रिया।

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    2. शानदार उत्सव, सुंदर रचनाएँ
      सभी रचनाकारों को बधाइयां, पटल का हृदयतल से आभार, बधाइयां ,शुभकामनाएं

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  2. Meena jain sundar rachna


    D k jain

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  3. बहुत ही सुन्दर

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  4. करवाचौथ के अवसर एक से बढ़कर एक शानदार सृजन प्रस्तुति के लिए सभी विद्वान रचनाकारों को हृदयतल से बधाई नमन तथा अनंत शुभकामनाएँ ।

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