11/2/20

शीर्षक:- आज का रावण By:- सुधीर श्रीवास्तव

 शीर्षक:- आज का रावण

देखिये नीचे कवि ने कितने हीं मार्मिक ढंग से समाज के वास्तविकता को अपने उत्कृष्ट शब्दों के साथ उकेरा है। अंत तक पढ़ें और अपना प्रतिक्रिया अवश्य दें

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शीर्षक:- आज का रावण

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कौन  कहता है?

रावण हर साल मरता है,

सच मानिए रावण हर साल 

मरकर भी अमर हो रहा है।

देखिए न आपके चारों ओर

रावण ही रावण घूम रहे हैं,

जैसे राम की विवशता पर

अट्टहास कर रहे हैं।

ये कैसी विडंबना है कि 

मर्यादाओं में बँधे राम विवश हैं,

कलयुगी रावण 

उनका उपहास कर रहे हैं।

हमारे हर तरफ

लूटपाट, अनाचार, अत्याचार,

भ्रष्टाचार, अपहरण,हत्या,

बलात्कार भला कौन कर रहा है?

ये सब कलयुग के 

रावण के ही तो सिपाही हैं।

अब तो लगता है कि

रावण के सिपाही सब

जाग रहे हैं,

तभी तो वो मैदान मार रहे हैं।

रक्तबीज की तरह 

एक मरता भी है तो

सौ पैदा भी तो हो रहे हैं।

बहुत ही मधुर गीत जल्दी click करें वीडियो देखें

जबकि राम के सिपाही

या तो सो रहे हैं 

या फिर रावण के कोप से

डरकर छिप गये हैं,

तभी तो राम भी

लड़ने से बच रहे हैं।

आज का रावण अब सीता का

अपहरण नहीं करता,छीन लेता है,

मुँह खोलने पर मौत की धमकी देता है।

तभी शायद आज के राम भी

थर थर काँप रहे  हैं,

सीता के खोने का गम

चुपचाप सह रहे हैं।।

 ✍ सुधीर श्रीवास्तव

       गोण्डा(उ.प्र.)


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    धन्यवाद

नगद पुरस्कार व सम्मान पत्र देकर समानित किया गया देखें 

3 comments:

  1. बढ़िया साहित्य श्रीमान।

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  2. आज का रावण सीता का अपहरण नहीं , छीन लेता है ।"आज का रावण " बेहतरीन समयानुकूल कविता के लिए आदरणीय कविवर श्री सुधीर श्रीवास्तव जी को हृदयतल से बधाई तथा अनंत मंगलकामना ।

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  3. आज का रावण सीता का अपहरण नहीं , छीन लेता है ।"आज का रावण " बेहतरीन समयानुकूल कविता के लिए आदरणीय कविवर श्री सुधीर श्रीवास्तव जी को हृदयतल से बधाई तथा अनंत मंगलकामना ।

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