साहित्य आजकल सभी साहित्यकारों का अपना एक ऑनलाइन साहित्यिक मंच के द्वारा इस कोरोना जैसे माहमारी में बीता यह साल 2020 को ध्यान में रखते हुए साहित्य आजकल राजस्थान प्रान्त के व्हाट्सएप पटल पर एक शानदार कार्यक्रम "कोरोना में साल 2020/ प्रेम है अनमोल" साहित्य आजकल के संस्थापक व अध्यक्ष हरे कृष्ण प्रकाश की अध्यक्षता में आयोजित की गई।
इस प्रतियोगिता कार्यक्रम में ढेरों रचनाकारों ने लिखित व वीडियो के माध्यम से अपनी प्रस्तुति दी। सभी को ज्ञात हो कि लिखित रचना इस वेबसाइट से प्रकाशित की जा रही है और वीडियो साहित्य आजकल के ऑफिसियल यूट्यूब चैनल से प्रसारित किया जा चुका है उक्त वीडियो का लिंक यहाँ प्रेषित कर दी गई है।
इस प्रतियोगिता के नियमानुसार साहित्य आजकल के इस वेबसाइट पर उपलब्ध सभी रचनाओं में से जिस रचनाकारों की रचना पर ज्यादा से ज्यादा प्रतिक्रिया प्राप्त होगी उन रचनाकारों में से दस रचनाकारों को सम्मान-पत्र दे कर सम्मानित किया जाना है।
इस कार्यक्रम में साहित्य आजकल के अध्यक्ष हरे कृष्ण प्रकाश उपाध्यक्ष राकेश बिश्नोई मंच समीक्षक मधु वैष्णव, मंच संयोजक रमेश जोधपुर, मंच संरक्षक विनोद कुमार व साहित्य आजकल के सभी साहित्यिक मंच यूट्यूब, व्हाट्सएप और वेबसाइट के मुख्य संयोजक हरे राम प्रकाश मुख्य रूप से उपस्थित होकर सभी प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करते हुए कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना बहुमूल्य योगदान दिया।
🌹🌹🌹प्रेम बड़ा अनमोल है🌹🌹🌹
बेशकीमती हीरे मोती पन्ने रखे हुए है महालो की बंद तिजोरी में,
इन महलों की ऊंची दीवारें बनी हुई है सोने चांदी से,
पर इनका क्या मोल है ये तो बेजुबान वस्तु है,
इनमे ना ही कोई भाव है,
ये तन शोभित कर सकते है पर मन का कौना शेष है,
क्युकी प्रेम बड़ा अनमोल है,
ये धन बड़ा बेमोल है।।
इसकी ना कोई जात है ना धर्म है,
ना कोई इसका नियम ना ही कोई समाज है,
ना इसका रूप है ना इसका कोई रंग है
क्युकी प्रेम रत्न अनमोल है,
ये बड़ा बेमोल है।।
समय समय पर अनेक उदाहरण दिखलाए है प्रेम ने,
ऐसे लोग हुए है जो मर मिटे है इसी प्रेम में,
चाहे मातृभूमि से प्रेम हो,
चाहे मां बहन के प्रति सनेह हो,
चाहे वफादारी के चोले के लिए नेह हो,
पर प्रेम रतन अनमोल है
ये धन बड़ा अनमोल है ।।
सबसे ऊंची प्रेम सगाई ये बात विधुरजी ने है समझाई,
जब कान्हा ने दुर्योधन के मेवे त्यागे और साग विधुर घर खाकर प्रेम की अलख जगाई,
सुदामा के पांव पखारे और उसको गले लगाया है,
ऊंच नीच का भेद मिटाकर श्री कृष्ण ने दिया यही संदेश है,
की प्रेम बड़ा अनमोल है,
ना इसका कोई मोल है।।
मीरा ने कान्हा को चाहा राणा जी के महलों को त्याग दिया,
गली गली में बिन घुंघरू नांची मीरा और वैरागी रूप है धार लिया,
विष का प्याला मीरा पी गई ये परिभाषा ही प्रेम की है
की प्रेम बड़ा अनमोल है,
ये प्रेम बड़ा बैमोल है।।
क्या इक मानव की बिसात है गर जबान पर प्रेम मिठास नहीं ,
दौलत बेशक खूब हो पर करे क्या
गर दे सके नहीं प्यार के दो बोल भी,
प्रेम और दौलत में से भी सदियों से प्रेम ही चुना जाता है ,
क्युकी यही अनमोल है
यही अनमोल है।।
बालक ,वृद्ध और पशु भी अपनो का स्पर्श महसूस कर लेते है,
हृदय में प्रेम है ये बात भाप ये लेते है,
बिना प्रेम के कोई भी आदर भाव नहीं रख सकता,
क्युकी प्रेम रत्न अनमोल है,
ये धन बड़ा अनमोल है।।
नगेन्द्र बाला बारेठ
हाल निवासी दिल्ली
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क्रमांक:- 02
सविता मिश्रा वाराणसी उत्तरप्रदेश
🙏मंच नमन 🙏
साहित्य आज तक राजस्थान प्रांत की प्रथम प्रतियोगिता हेतु रचना
विषय -कोरोना से सीख
शीर्षक - अपने और अपनों का महत्त्व
विधा - गीत
दिनांक - 18-12-2020
ना धन का साथ चाहिए, ना ही दौलत का साथ चाहिए l
बस अपनों के हाथ का साथ ही चाहिए मुझे ll
क्योंकि अपने है तो मैं हूँ l
अपनों से ही मैं हूँ ll
अपनों से ही मेरा मोल है l
अपनों के बीच मे ही मेरा मोल है ll
अपने नहीं तो कुछ नहीं हूँ मैं l
अपने है तो सब कुछ हूँ मैं ll
अपनों से ही आधार है मेरा l
बिन अपनों के निराधार है मेरा ll
अपने तो है पूँजी मेरी l
बिन अपनों के नहीं है कोई पूँजी मेरी ll
जीना भी है अपनों के लिए l
मरना भी है अपनों के लिए ll
यही एक जहान है मेरा l
यही एक जीने का अरमान है मेरा ll
हमेशा मुझे याद रखना है l
अपने तो अपने ही होते हैं ll
अब बस इतना ही मुझे कहना है l
थोड़ा लिख रहीं हूँ ज्यादा आपको समझना है ll
ना धन का साथ चाहिए, ना ही दौलत का साथ चाहिए मुझे l
बस अपनों के हाथ का साथ ही चाहिए मुझे ll
रचनाकार का नाम - सविता मिश्रा
(शिक्षिका, समाजसेविका और कवियत्री )
पता - वाराणसी, उत्तर प्रदेश
स्वरचित और मौलिक रचना
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क्रमांक :- 03
.डॉ गुलाब चंद पटेल गुजरात
प्रेम हे अनमोल खजाना :
प्रेम ही जाने हे रिसते बचाना
प्रेम प्रभु ने दिया हुआ तोहफा है
बिना सम्वेदना पवन का झोंका है
स्वरुप की आशिकी एक छल हे
दिल से जुड़ा प्यार ही सफल हे
प्रेम न ढूढ़ने की चीज़ है
फूल ही प्रेम प्रतीक का बीज हे
कृष्ण से राधा का अटूट प्यार हे
मीरा ने माना कृष्ण भक्ति में प्यार हे
दिल में यदि प्यार के फूल खिलते हैं
प्यार से ही दो दिल हमेशा मिलते हैं
प्यार मे लोग सब कुछ भूल जाते हैं
पागलपन से पूरा जीवन लुटा देते हैं
सच्चा प्यार भक्त प्रहलाद ने किया था
प्रभु ने नृसिंह रूप से रक्षण किया था
लैला मजनू ने अद्भुत प्यार किया था
प्यारकी ताकत इन्होंने बता दिया था
आधुनिक युग में प्रेम पत्र गायब है
मीडिया मे उसका स्थान जायज है
कहा जाता है कि लव इज ब्लाइंड
कवि गुलाब कहे लव इज़ वेरी काइंड
डॉ गुलाब चंद पटेल
कवि लेखक अनुवादक
अध्यक्ष महात्मा गांधी साहित्य मंच
गांधीनगर,
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क्रमांक:- 04
रमेश कुमार सिंह रुद्र बिहार
रचना- कोरोना
रुप विकराल कर,महामारी आ गई है,
दिशाओं में अपना वो,तांडव मचा रही।
आम-जन-खास-तक,नहीं पहचान रही,
अपनी ऊंगली पर,सभी को नचा रही।
खांसी साथ सर्दी लिए,दर्द व बुखार लिए,
संक्रमित रुप ऐसी,हवा वो चला रही।
दूरी बनाकर रहें,एक-दूसरे से सभी,
तभी-तय-बच-पाना,यही वो बता रही॥
कोरोना से रोना नहीं,सामना करेंगे सभी,
हौसला बुलंद कर,सभी जन लड़ना।
सामाजिक दूरी बना,घर बाजार रहेंगे,
जनहित सोच रख,दुआ सब करना।
बारम्बार हाथ धोंवे,साबून सेनेटाइजर,
घरपर रखकर, अच्छाई से रहना।
लाक डाउन न तोड़ें, कोई साहस न छोड़ें,
अपने आस-पास में,दम-जोश भरना।
©️रमेश कुमार सिंह रुद्र®️
परिचय-
रमेश कुमार सिंह रुद्र (माध्यमिक शिक्षक बिहार सरकार)
वर्तमान पता- सर्वोदय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सरैया चेनारी सासाराम रोहतास बिहार-821108
स्थाई पता- कान्हपुर, कर्मनाशा, दुर्गावती, कैमूर बिहार-821105
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क्रमांक:- 05
आजम नैयर सहारनपुर
विषय प्रेम अनमोल है
प्यार दिल से ही निभाओ आशिक़ी अनमोल है
तोड़ मत दिल प्यार भरा तू दोस्ती अनमोल है
यूं नहीं दिल भर उदासी से भुला ग़म तू सभी
उम्रभर हंस ले लबों से तू हंसी अनमोल है
मयकशी तू छोड़ दें करनी ज़रा नफ़रत की ये
प्यार से भर ले हमेशा जिंदगी अनमोल है
कुछ नहीं दौलत इसके आगे जहां वालो सोचो
खू बहा मत तू किसी का आदमी अनमोल है
नफरतों के तीर यूं अच्छे नहीं है हर घडी
जिंदगी में प्यार भरो यारों ख़ुशी अनमोल है
फ़ूल हो या दोस्ती हो या मुहब्बत हो यारों
देखिए भी इस जहां मे ही सभी अनमोल है
दुश्मनी के तीर आज़म पे चला मत हां मगर
छोड़ तू नाराज़गी ये दोस्ती अनमोल है
आज़म नैय्यर
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क्रमांक:- 06
डॉ गरिमा त्यागी , उत्तरप्रदेश
सादर प्रणाम 🙏🙏
डॉ गरिमा त्यागी #(केवल लिखित रचना )
विधा -कविता
विषय -
कोरोना में साल 2020
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चाहे अँधियारी घटायें छायीं हों कितनीं,
एक दिन रोशनी की किरण का उज़ाला भी होगा |
ज़िंदगी से तो बढ़कर कुछ भी नहीं,
अपनी जिम्मेदारी को हमको निभाना भी होगा |
लड़कर, जूझकर, उठेंगे भी हम, मगर ये तो तय है की जीतेंगे भी हम,
दिल से डर का भी एक दिन अँधेरा दूर होगा |
रहमतों की उसका रहा हाथ हरदम हम पर,
प्रार्थनाओं का एक दिन असर भी तो होगा |
साथ हमने ना छोड़ा आपस में कभी,
फिर से जीवन सभी का ख़ुशहाल होगा |
ज़ज्बा लड़ने का भी बहुत है हम सभी में,
दूसरों से नहीं हमको खुद से लड़ना ही होगा |
देश संकट में आया है पार सब निकालो,
साथ सबको ही देना ज़रूरी तो होगा |
जीत जायेंगे हम हर मुश्किलों से,
अपने आशियानों में कुछ दिन रहना ही होगा |
रौनकें बस्तीयों में लोटेंगी एक दिन फिर से,
मेहनतों का असर यूँ जाया ना होगा |
विनती प्रभु से हम मिलकर करें सब,
प्रभु की दया का असर सब पर होगा
स्वरचित
✍️✍️✍️डॉ गरिमा त्यागी
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क्रमांक:- 07
जितेन्द्र परमार *"रोश गुजरात
*विषय : प्रेम है अनमोल*
तुम नफरत करो,हम प्यार करेंगे,
तुमसे भी अच्छा व्यवहार करेंगे।
सबके जीवन में खुशियां भर दे,
ऐसा हर एक त्योहार करेंगे।
ईश्वर को भी आना होगा एकदिन,
ऐसा हम संसार करेंगे।
प्रेम जीवन की पूंजी है मत भूलो तुम,
एक बार नहीं सौ बार करेंगे।
सब मिलजुल कर रहे खुशी से,
ऐसा प्यारा हिंदुस्तान करेंगे।
तुम नफरत करो हम प्यार करेंगे,
तुमसे भी अच्छा व्यवहार करेंगे।
जितेन्द्र परमार "रोशन" ( केवल लिखित रचना)
पालनपुर (गुजरात)
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क्रमांक:- 08
सुमित रंजन दास, बिहार
साहित्य आजकल प्रतियोगिता
विषय : कोरोना जीवनकाल
क्रमांक नं : 20
नाम : सुमित रंजन दास
( *केवल लिखित* )
कल आपकी बारी है
लाॅकडाउन खोलना मजबूरी है सावधानी अब भी जरूरी है
मैं और मेरी तन्हाई भी रखती अब आपस में दो गज दूरी है
कोरोना की नजर है उनपर जो घूम रहे है गली - चौराहे पर
बच के रहियेगा, आज वो हुए शिकार कल आपकी बारी है
ये सैर सपाटा करने का नही समय आया दौर-ए-महामारी है
निश्चिंत और लापरवाह मत हो जाना खतरा अब भी जारी है
सोशल डिस्टैंसिंग ही है कोरोना से बचने का एकमात्र इलाज़
लाॅकडाउन खुल गया है अब बढ गयी आपकी जिम्मेदारी है
नेता का भाषण सुन मान न लेना सरकार की पूरी तैयारी है
बस में लिखा याद कर लेना सामान का जिम्मेदार सवारी है
कोई ना देगा साथ ना आयेगा पास जब कोरोना हो जायेगा
तब समझ यह आयेगा कोरोना कितनी जानलेवा बीमारी है
औरों को हुआ पर मुझे कुछ ना होगा ये सोच प्रलयकारी है
ढाई लाख के पार हुआ आकड़ा और कल आपकी बारी है
वक्त के रहते ही संभल जाये , सुधर जाये और बदल जाये
फिर शिकायत ना करना यह कैसी विपदा कैसी लाचारी है
- सुमित रंजन दास
कहुआ , बिहार
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क्रमांक:- 09
अल्पना दुबे, बेंगलुरु
विषय:- प्रेम है अनमोल
सबको यही बोल, मातृ प्रेम है अनमोल,
सबकी आंखें खोल, प्रेम की भाषा बोल l
मीठी बोली बोल, तोल मोल के बोल,
मां से दिल खोल, मातृ प्रेम है अनमोल l
मां का दिया जीवन है, मां का ही अंश है l
मां गुरु है, मां प्रभु है, मातृसेवा ही जीवन का सार है l
मां की ममता मां का दुलार है, मां का हम पर अधिकार है l
मातृ सुख ही है, जो जीवन का असली सुख है l
मां ने सदैव हमें हंसाया है, अब हमें उसे हसाना है l
मां ने हमें सब कुछ दिया है, अब देने की हमारी बारी है l
मां ने जी जिंदगी हमारे लिए, अब हमें उनके लिए जीना है l
मां ने संजोए सपने हमारे लिए, अब हमें उन्हें पूरा करना है l
जीवन है अनमोल, इस जीवन में मां का प्रेम है अनमोल l
अपनी आंखें खोल, इस प्रेम को तू ना कभी तोल l
अपने जीवन के पन्ने खोल, देख क्या है मां का मोल l
जीवन है अनमोल, इस जीवन में मां का प्रेम है अनमोल l
*अल्पना दुबे* #(केवल लिखित स्वरचित रचना)
*बैंगलोर*
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क्रमांक:-10
डॉ किरण जैन, हरियाणा वर्तमान कनाडा
नीरस यह संसार है,एक प्रेम ही सार
बिना प्रेम यह सकल जग,लगता है बेकार ।
प्रेम एक इस जगत में, होता है अनमोल ।
हृदय तराजू मैं इसे,तोल सके तो तो ल।
प्रेम गली संकीर्ण है,इसके दूभर मोड़
जो इसपर चलता रहे,कीमत लाख करोड़ ।
ढाई आखर प्रेम के, रखें गूढ़ जो अर्थ ।
जिसको समझ न आ सके ,उसका जीवन व्यर्थ ।
प्रेम राह जबसे मिली,हो गये मालामाल ।
जीवन पथ सुरभित हुआ, नहीं रहा कंगाल।
चटकाकर मत तोड़िये,स्नेह सूत्र को आप।
टूटे तो जुड़ता नहीं, देता है संताप।
हर मानव की ज़िन्दगी, बंध प्रेम की डोर।
प्रेम सहज ही जानिये, चंदा और चकोर।
प्रेम विवश दौड़ी गयी, राधा नंगे पाँव।
मीरा दीवानी हुई,गिरधर जी के गाँव ।
प्रेम विवश व्याकुल हुये,मुनि वर विश्वामित्र ।
निष्फल सारा तप हुआ, दूषित हुआ चरित्र ।
प्रेमी को तो चाहिए, हर दम प्रियतम पास
प्रेम भाव से पुष्ट हो,पतझर हो मधुमास।
डॉ किरण जैन
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क्रमांक:11
हरि नाथ शुक्ल "हरि" सुल्तानपुर,उत्तर प्रदेश
साहित्य आजकल प्रतियोगिता
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🌹विषय: प्रेम है अनमोल🌹
प्रेम की एक गली में गया था कभी,
पहले ही मोड़ पर मिल गया अजनबी।
यूं लगा,मन की सारी मुरादें मिली,
जैसे जीवन की सारी तपस्या फली।
कोरा मन,कोरे कागज के जैसा दिखा,
चिर प्रतीक्षित अहिल्या सरीखा दिखा,
एक्स-रे की तरह मन पटल पर मेरे,
देखते देखते छप गई वह छवि।
मृग की मारीचिका का मुझे भान था,
दूर दिखता था जल किंतु मिलता न था,
लाखों परवाज की,कितनी आवाज दी,
थक गया,यत्न मेरे विफल थे सभी।
यूं तो थी उर्वरा,किंतु प्यासी धरा,
जर्रे जर्रे में अवसाद जैसे भरा,
नेह की दृष्टि से,मेह की वृष्टि से,
सृष्टि पुलकित,तृषित ज्यों नहीं थी कभी।
एक धक-धक अथक और अपलक पलक,
नेत्र आए छलक,धुल गया मन फलक,
चहका चहका विहग,महका महका सा जग,
ऊर्ज उजियार लेकर के उतरा रवि।
प्रेम की एक गली में गया था कभी,
पहले ही मोड़ पर मिल गया अजनबी।।
साभार..हरि नाथ शुक्ल "हरि" सुल्तानपुर,उत्तर प्रदेश
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क्रमांक:- 12
स्वराक्षी स्वरा खगड़िया बिहार
*प्रेम है अनमोल*
हमारा दिल तुम्हारे बिन कहीं इक पल नहीं लगता
तुम्हें कितना भी देखे हम मगर जी ये नहीं भरता ।।
भले ही सामने मेरे,विवादों का बवंडर हो
मगर जब साथ रब का हो,किसी से भी नहीं डरता ।।
अंधेरी रात का साया,लिपट कर मुझसे रोता है
वज़ह क्या ऐसे जीने की,ग़मो से क्यों नहीं मरता ।।
जुबां पे हैं पड़े ताले, ज़हन में याद की खुश्बू
अमावस सी विरह लेकिन,शिकायत दिल नहीं करता ।।
स्वरा ग़म से ही यारी रख,दरद मुस्कान देती है
कहो कि कौन दुनियाँ में वज़न ग़म का नहीं सहता ।।
*स्वराक्षी स्वरा*......✍️
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क्रमांक:- 13
दुर्गादत्त *कार्यक्रम कोरोना 2020*
दिसंबर का भव्य आयोजन
*विषय -कोरोना में साल 2020/
प्रेम है अनमोल*
प्रतियोगिता हेतु रचना (*लिखित*)
**अल्फाज, अधूरे से**
सहम गई, स्याही भी
वक्त कुछ ऐसा रहा
बिखरे हर अल्फाज मेरे
आंसूओ ने, सब कहा
धुंधली ख़्वाबों में, अब
पन्ने बिछड़ते, रह गए
कलम के अरमां, अल्फाजों से
बदस्तूर, सब कह गए
गली, ढूंढ़ रही है
अपने उल्फत के, किस्सों में
वो अनकहे, तराने अब
अलग हुए, दो हिस्सों में
क्या ज़ख्म जताए,
पीपल की डाली
तने गमों में, डूब चले
तस्वीरें, वो वसंत की
ज्वाला में, अब जल चले.
इश्क में, अब तक वो
दर्द लिखने में, नाकाम रहा
फिर भी, अब शायर बनके
शायरी से, बदनाम रहा!!
दुर्गादत्त पाण्डेय
डी ए वी पीजी कॉलेज
बीएचयू, वाराणसी
बीएचयू (वाराणसी )
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क्रमांक:- 14
. डॉ. इक़लाब मोदी देवास, मध्यप्रदेश
नज़्म
रोकना ही है कोरोना को ,
हराना ही है कोरोना को ।
घबराने की नही दरकार है,
साथ मे हमारी सरकार है ।
समझदारी से करे हर काम,
होगा इसका काम तमाम,
रोकथाम , बचाव ही इलाज है,
वरना ये बीमारी ही लाइलाज है ।
अफवाहे नही, फैलाये जागरूकता,
हर वक़्त हम बरते सतर्कता।
रोजाना योग ध्यान लगाएं ,
देश को अपने महान बनाये
डॉ.इक़बाल मोदी, देवास
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क्रमांक:- 15
अन्जनी अग्रवाल ओजस्वी कानपुर
प्रेम है अनमोल
***************
जीवन का अनोखा एहसास।
आकर्षण जिसका आधार ।।
सतत निर्झर इसकी प्रवाह।
ह्रदय तल का ये विश्वास।।
प्रेम ह्रदय प्रेम की आस।
कोरोना नही आता रास।।
लहर लहर मन तरंग अपार ।
एक आहट आ रही पास।।
एक अहसास रहा पास।
वो भाव मन का विश्वास।।
महक उठा मेरा मन उदास ।
हिलौरे ले नाच रहा आज।।
हिय तराजू ले तू तोल।
प्रेम होता है अनमोल।।
प्रेम निस्वार्थ होता सादा।
प्रेम का दूजा नाम राधा ।।
मन का मिटे अंधकार ।
अंतर ज्योतिर्मय अपार।।
ईश्वर की कृति हैं, प्यार ।
जिस बिन जीना बेकार।।
सर्वाधिकार सुरक्षित
अन्जनी अग्रवाल ओजस्वी
कानपुर नगर उत्तरप्रदेश
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क्रमांक:- 16
सुमन राठौड़ झाझड , राजस्थान
_🙏 साहित्य आजकल मंच🙏_
कविता(लिखित) प्रतियोगिता हेतु
कविता
शीर्षक- कोरोना 2020
जग में त्राहि मची रहा घातक सन बीस,
खलनायक बना कोरोना बढ़ती जाए टीस।
मार्च में कर्फ्यू घोषित हुआ संग मोदी एलान,
निज सदन बंद हो गए नर नारी व जवान।
आरंभ हुआ जीवन में कठिनाइयों का दौर,
कोरोना से बचाव का नहीं मिला कोई तोड़।
सकल जहान पैर फैलाए पड़ी ऐसी मार,
विज्ञान चमत्कार व प्रगतिशील देश गए हार।
मजदूर पैदल चलकर पहुँचे शहरों से गाँव ,
भूख प्यास से तड़पें सूज गए उनके पाँव।
फैक्ट्रियाँ कार्यलय स्कूल सब हो गए बंद,
सड़कें विरान मोटर रेलगाड़ी हो गए बंद।
थाली घंटा बजाएं दीपक भी खूब जलाएं,
हवन पूजन किए पर कोरोना न भगा पाएं।
डाक्टर पुलिस बनें महामारी में ईश अवतार,
मानव रक्षार्थ बन गए वो जगत के तारणहार।
मानव को सादे जीवन में रहना बता गया,
कठिनाइयों कम जरूरतों में रहना सीखा गया।
रिश्तों की दरारें भरने परिवार महत्ता बता गया,
दो गज दूरी मास्क जरूरी सन बीस सीखा गया।
राम मंदिर निर्णय से संपूर्ण हिन्दुस्तान हर्षाया,
शिलान्यास कर मोदी ने निज वचन निभाया।
कोरोना के भयावह कोप से मरे बहुत इंसान,
सिंदूर उजड़े बच्चे हुए अनाथ कृपा भगवान।
सन 2020 की देन सदियों तक गाई जाएगी,
सन बीस की सौगातें कभी न भूली जाएगी।
स्वरचित एवं मौलिक
नाम_सुमन राठौड़
पता_झाझड , राजस्थान
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क्रमांक:- 17
धर्मेन्द्र कुमार चेलक,मुनगी,रायपुर,छत्तीसगढ़
*साहित्य आजकल ( राज. प्रांत )*
*दिसम्बर 2020 का भव्य आयोजन हेतू*
विधा :- *पद्य*
शीर्षक :- *कोरोना काल में 2020*
साल 2020 गुजर रहा है कोरोना काल में।
सारी दुनिया की साँसें अटकी है इस जंजाल में।।
सारे जहाँ में लगवा दिया इसने ताला।
जीते-जी इसने सब लोगों को मार डाला।।
लाखों लोगों के छूटे अपने काम - धँधे।
दर-बदर भटकने मजबूर हो गये सब बाशिंदे।।
झेल रही है दुनिया आर्थिक मंदी की मार।
ठप सा हो गया है सबका कारोबार।।
पूरे विश्व में पैर जमाकर इस महामारी ने।
सबकी खुशियाँ छीन ली जानलेवा बीमारी ने।।
कितनों के सपने हो गये हैं चकनाचूर।
तो कोई सदा के लिए अपनों से हो गये दूर।।
यह पूरी दुनिया में जमकर मचा रही है तबाही।
साल दो हजार बीस बना है जिसकी गवाही।।
शासन, प्रशासन सभी है बहुत परेशान।
जाने कब होगा इस बीमारी का निदान।।
अवश्य मिल ही जायेगा उपाय कुछ रोज में।
सारी दुनिया लगी है दवाई की खोज में।।
मास्क, दूरी, साफ - सफाई है अहम उपाय।
जिसको इस बीमारी के विशेषज्ञों ने है सुझाय।।
सभी जनों से कर जोड़ है मेरी विनती।
पालन करें जब तक दवाई नहीं है मिलती।।
============================
यह पूर्णरूपेण मौलिक एवं स्वरचित है।
============================
*रचनाकार*
*धर्मेन्द्र कुमार चेलक*
*पता*- ग्राम - मुनगी, पोस्ट -चन्दखुरी, तहसील - आरंग, जिला - रायपुर, छत्तीसगढ़, पिन 492101
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
क्रमांक:- 18
सुखमिला अग्रवाल,मुम्बई
साहित्य आजकल
दिनांक-9/12/20
विषय-*प्रेम का अहसास*
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
प्रेम बडा अनमोल है,
नहीं कोई उपहास।
प्रेम जिस घट में बसे,
वो मन सदा सुवास।।
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
प्रेम रीती है सुन्दर मन की
दिल ने दी जिसको पहचान।
इसकी दस्तक जिसने सुनी,
लेश रहे ना अभिमान।।
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
प्रेम पवित्र एक बंधन ऐसा,
धरती और गगन के जैसा।
सदियों का प्यारा बंधन
है अटल सदा वैसे का वैसा।।
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
प्रेम निश्छल निर्मल मन का निर्झर,
बहता संगीतमय मधुर कल कल।
हृदय समुन्द के भीतर निपजें,
प्रेम प्रीत के मोती पल पल ।।
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷
✍सुखमिला अग्रवाल
स्वरचित मौलिक
सर्व अधिकार सुरक्षित्
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
क्रमांक:-19
कवि आदित्य गुप्त
चुनार मिर्जापुर उत्तर प्रदेश
नमन मंच
साहित्य आजकल राजस्थान प्रांत
कार्यक्रम - 2020 दिसंबर
विषय - कोरोना मे साल 2020
/प्रेम है अनमोल
विधा - गजल
प्रेम है अनमोल इसे बांध कर रखना ।
प्रेम की अस्मिता को हृदय से
लगाए रखना ।
जन्म से जुड़े हुए रिश्ते बड़े नही
होते ।
जो दिल से जुड़े हैं उन्हे बड़े बनाए रखना ।
प्रेम है अनमोल इसे बांध कर रखना ।
जिन्दगी मे ऐसे मिलो की लोगो मे पहचान बन जाए
प्रेम शब्द से लोगों के दिल पर निशान बन जाए ।
जीने को जिन्दगी तो यहां हर कोई जी लेता है
यादें सुखद हो उसे भी संभाल कर रखना ।
प्रेम है अनमोल इसे बांध कर रखना ।
कवि आदित्य गुप्त पदयात्री
चुनार मिर्जापुर उत्तर प्रदेश
मै घोषणा करता हू की यह रचना स्वरचित व मौलिक अप्रकाशित है
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क्रमांक:- 20
मधु वैष्णव "मान्या" 🌹 जोधपुर, राजस्थान
नमन मंच
🌹 प्रेम अनमोल 🌹
उम्मीदों की दहलीज पर,
अक्सर खिलते,
अभिलाषाओं के पुष्प,,,,,,।
मृगतृष्णा की राह में,
ढेर सवालों का,
जिंदगी के रंगमंच पर,
खिलते किरदारों के पुष्प।
करती रहूं दुआ ,
कुछ ऐसी मैं,
श्रद्धा और संस्कृति,
की राहों में,
खिलते रहे रस्मो रिवाज के पुष्प।
ढाई आखर से बना,
प्रेम बड़ा अनमोल,
संवेदनाओं के उपवन में,
खिलते रहे अनुराग के पुष्प।
मधु,,,मन की उर्वर,
अवनि पर,
होते रहे प्रस्फुटित ,
अमित जीवन के पुष्प।
🌹मधु वैष्णव "मान्या" 🌹 विधा मुक्त रचना,जोधपुर, राजस्थान
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क्रमांक:- 21
मनोज शर्मा मधुर,रूपबास, भरतपुर,राज०
प्रेम का कोई नहीं विधान,प्रेम है सृष्टा का वरदान।
प्रेम बिना ये जीवन सूना, प्रेम सकल गुण खान।।
प्रेम प्रतीक्षा में,आशा में, प्रेम ही आँखों की भाषा में।
प्रेम स्वाँस की लय में,गति में, प्रेम ही दीपक की ज्योति में।
प्रियतम की मीठी बानी में, आँखों के बहते पानी में।
प्रेम ही तन में,प्रेम ही मन में, सोहनी के दीवानेपन में।
प्रेम हुआ महिवाल,तो दरिया में होता कुर्बान।।
प्रेम का कोई ...
नदिया की कल-कल नादों में, प्रियतम की धूमिल यादों में।
इन्द्रधनुष के सप्त रँगों में, सजनी के महके अंगों में।
अमराई के पके बौर में, साँझ ढली और जगी भोर में।
चढ़ते यौवन के नव मद में, दुल्हन के घूँघट की हद में।
चन्द्रमुखी के गोरे गाल पे, तिल का अमिट निशान।।
प्रेम का कोई...
पर्वत से गिरते झरनों में, विरहिणी के अपलक नैनों में।
पल-पल चलती हर धड़कन में, मधुबन के हर खिले सुमन में।
माशूका-आशिक की गली में, चमन की हर अधखिली कली में।
प्रेम विकलता की धक-धक में, लैला और मजनूँ के हक में।
जलती हुई शमां पर,होता रहा प्रेम बलिदान।।
प्रेम का कोई ...
✍️ मनोज शर्मा मधुर
रूपबास, भरतपुर, राज०
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क्रमांक:- 22
रमेश कुमार "अनुज" जोधपुर,
नमन मंच - "साहित्य आजकल"
आयोजन- कवि-सम्मेलन(2020)
विषय - "प्रेम हैं अनमोल"
गज़ल
( कुछ तो तू लगती है मेरी)
तेरी आशिकी का, ही किरायेदार हूँ मैं।
सच कहूँ तेरी मोहब्बत का, ही पहरेदार हूँ मैं।।
इश्क़ तो हुआ फलसफा तुझसे इस कदर,
तेरे चाहत के प्यार का, ही हिस्सेदार हूँ मैं।।
बीते पल की यादें आती हैं मुझे सताती हैं,
फिर भी तेरी जुदाई का, ही मजेदार हूँ मैं।।
बेवफाई की बाते तुम ही जानो सनम्,
तेरी मुलाकात का, ही रिश्तेदार हूँ मैं।।
साथ निभाऊँगा इस जन्म,हर मुश्किल में तेरा,
तेरे हर जन्म में तेरे प्यार का, ही कर्जदार हूँ मैं।।
@रमेश कुमार "अनुज"
लेखक/कवि/स्वतंत्र रचनाकार
जोधपुर, राजस्थान
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क्रमांक:- 23
अनिल मोदी, चेन्नई
साहित्य आजकल पटल ( राज. प्रांत )
लिखित रचना
विषय है:- बीत रहा साल 2020
कविता
साल.2020 अनमोल
भुलाये न भुले इसको
बडे उत्साह से किया था स्वागत
नजर लग गई, ग्रहण लगा कोरोना का।
कोरोना ने इंसान को जीना सिखाया।
करोना ने लोगों में दहशत फैलाया।
करोना वरदान बन आया।
हौसला बढाया। परिवार संग प्यार बढाया। बूढी अंखियों में चमक आई।भले बात हो ना हो, संतान स्वस्थ, नजर सामने तो है, यही खुशी है।
घर का आर्थिक बजट जरूर गडबडाया। मगर सीमित साधन में , अपनों से, नाते रिश्तेदार पडौसी बिन अकेले ही जीने का पाठ सिखाया।
आडंबर शादी ब्याह, धार्मिक, जलसा, समारोह मौत मरकत के भोज पर अंकुश लगा, संपर्क साधन, बच्चों को पढाई, सरकारी गैर सरकारी लेन देन का सुत्र मोबाइल प्रयोग ही रह गया।
प्रकृति प्रदूषण रहित हुई, स्वच्छता का संदेश सिखाया।
जीने के आयाम मिले खट्टे मीठे, आत्म निर्भरता गृहकार्य में परिवार के सदस्यों को सिखने को मिली।
भगवान महावीर की संदेश सार्थक हुआ। हाथ जोडना, गर्म पानी सेवन, मुंह पर पट्टी/हाथ रख बात करना। घर में प्रवेश के पहले हाथ मुंह धोना।
मौसम के बदलाव से बरसात भी कई जगह बाढ लाई, कई जगह पीने के पानी की समस्या दूर हुई।
यातायात बाधित हुआ, पर कोई समस्या नहीं। मजदूरों में हायतौबा जरुर हुई।
कोरोना रोकथाम सरकारी की कोशिश काफी सफल रही।
कुछ मुद्धो पर राजनीतिक उथल पुथल भी हुई।
अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का यादगार भव्यातिभव्य शिलान्यास हुआ
अब वैक्सीन की खबर आ गई, दवाई बाजार में सार्वजनिक उपलब्धता का इंतजार है।
कुल मिलाकर संकट में कैसे जीना? मानव जीवन के लिये वरदान है।
ये मेरी मौलिक रचना है और इसे प्रकाशन का आपको सर्वाधिकार है।
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धन्यवाद
अगर आप comment नहीं कर पा रहे हैं तो इस वीडियो को एक मिनट देख कर सीख लें👇👇
बहुत बहुत बधाई व शुभकामनाएं सभी साहित्यकारों को
ReplyDeleteComment में अपना नाम लिखकर विजय बनावे अपने साथि को साथ ही साक्षा करें 🙏🏻👍
सुमित रंजन दास
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteमिथिलेश कुमार श्रीवास्तव'शिखर'वाराणसी
डॉ गरिमा त्यागी की रचना उजाला ही होगा बहुत सुंदर।
ReplyDeleteमिथिलेश कुमार श्रीवास्तव 'शिखर' वाराणसी
श्रीमती नगेंद्र बाला की रचना प्रेम बड़ा अनमोल है बहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteमिथिलेश कुमार श्रीवास्तव शिखर वाराणसी
सविता मिश्रा जी की रचना अपनों के हाथ का साथ भी अच्छा संदेश देता है। बहुत सुंदर।
ReplyDeleteमिथिलेश कुमार श्रीवास्तव 'शिखर' वाराणसी
डॉक्टर गुलाब चंद पटेल की रचना प्रेम ही जाने हैं रिश्ते बचाना बहुत अच्छा लगा।
ReplyDeleteमिथिलेश कुमार श्रीवास्तव 'शिखर' वाराणसी
श्री हरि नाथ शुक्ल की रचना प्रेम की एक गली में काफी सुंदर प्रस्तुति है।
ReplyDeleteमिथिलेश कुमार श्रीवास्तव'शिखर' वाराणसी
श्री आजम नैयर की रचना दोस्ती अनमोल है भी अच्छी प्रस्तुति है।
ReplyDeleteमिथिलेश कुमार श्रीवास्तव 'शिखर' वाराणसी
सुमन राठौर जी की रचना घातक सन् बीस बहुत ही सटीक चित्रण है
ReplyDeleteमिथिलेश कुमार श्रीवास्तव 'शिखर' वाराणसी
सुमित रंजन दास
ReplyDeleteSri dharmendra chelak
ReplyDeleteBahut hi sundar panktiyon ke madhyam se aapne corona rupi mahamari ko jan-jan tak apni baat aur sikh diya hai 👍💐
धन्यवाद आदरणीय
DeleteDharamenra kumar Chelak ki rachana corona kal me 2020 achchhi lagi.
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteमधु वैष्णव जी की रचना उम्मीदों की दहलीज पर काफी पसंद आया।
ReplyDeleteमिथिलेश कुमार श्रीवास्तव शिखर वाराणसी
सुख मिला अग्रवाल जी की रचना प्रेम बड़ा अनमोल है काफी प्रेरक लगा।
ReplyDeleteमिथिलेश कुमार श्रीवास्तव शिखर वाराणसी
धर्मेंद्र कुमार चेलक जी की कविता अटकी है इस जंजाल में वास्तव में बहुत ही समसामयिक लगी।
ReplyDeleteमिथिलेश कुमार श्रीवास्तव शिखर वाराणसी
सहृदय धन्यवाद आदरणीयजी
Deleteधर्मेंद्र कुमार चेलक आपकी कोरोना काल 2020 की रचना में सारगर्भित,सुंदर,सत्यघटना पर आधारित,चिन्तनशील सोच,पारदर्शिता की भावना बहुत ही अच्छा है
ReplyDeleteकमेंट के लिए दिल से धन्यवाद
Delete" बीत रहा साल 2020 "भविष्य के लिए उचित सलाह देती बेहतरीन कविता के लिए आदरणीय कविवर श्री अनिल मोदी जी को हृदयतल से बधाई नमन ।
DeleteDharmendra chelak ji ki kavita vakai bahut sundar ,korona kal ki spast jhalak dikhlati hai
ReplyDeleteSriman dharmendra Chelak
ReplyDeleteApka kavita is corona mahamari me dil ko chhu gya aur thoda rahat bhari hai man me .
Mr.dhamendra Chelak
ReplyDeleteBahut hi sundar kvita bnayi hi apne corona ke upr
आप सभी साहित्यकारों को बहुत-बहुत बधाई जो इस महामारी के समय भी अपने कलम को गति दे रहे हैं इसके लिए आप सभी को साधुवाद| धर्मेंद्र चेलक सर आपको भी बहुत-बहुत बधाई
ReplyDeleteअति सुन्दर कविता है मित्र धर्मेंद्र चेलक जी
ReplyDeleteDharmendra Kumar Chelak ki Kavita mujhe bahut hi Sandra laga yah samsamayik ghatnao par utkrisht rachna hai.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना चेलक सर जी
ReplyDeleteडॉ इकबाल मोदी जी की रचना हराना ही है कोरोना को बहुत ही समसामयिक एवं सार्थक प्रयास।
ReplyDeleteमिथिलेश कुमार श्रीवास्तव शिखर वाराणसी
बहुत बढिया सुमित
ReplyDeleteमधु मान्या जी की रचना ने मन पर छाप छोड़ी है।
ReplyDelete"मधु मन की उर्वर अवनि पर"
क्या खूब लिखा है।
मनोज मधुर,रूपबास
स्वराक्षी स्वरा जी की रचना मनमोहक है।
ReplyDelete"कहो कि कौन दुनियाँ में वज़न ग़म का नहीं सहता"
शानदार पंक्ति है।
मनोज मधुर,रूपबास
धर्मेंद्र कुमार चेलक की कविता कोरोना काल में 2020 बहुत ही उत्कृष्ट रचना है जो मुझे बहुत ही अच्छा लगा!
ReplyDeleteआप सभी रचनाकारों को लाइक तो किया जा रहा है लेकिन मैं यह भी देख रहा हूं कि आप लोग किसी अन्य रचनाकार को लाइक नहीं कर रहे हैं इससे लगता है कि आपकी नजर में एक भी दूसरा रचनाकार आपसे अच्छा नहीं है अथवा आपके अलावा लाइक करने लायक नहीं है।
ReplyDeleteमिथिलेश कुमार श्रीवास्तव'शिखर'
ReplyDeleteबहुत अच्छी-अच्छी रचनाएं आप लोगों ने प्रस्तुत की हैं। आप सभी को बहुत-बहुत बधाई। आप लोगों को भी चाहिए कि वीडियो प्रस्तुति वाली रचनाओं को भी पढ़कर लाइक करें। एक दूसरे की रचनाओं को भी पढ़ना और लाइक करना चाहिए।
ReplyDeleteबेहतरीन गजल के लिए आदरणीय कवि श्री रमेश कुमार अनुज जी को सहृदय बधाई ।
ReplyDeleteपाखी जैन की रचना नहीं है इसमें
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