3/4/21

फणीश्वरनाथ रेणु जयंती

फणीश्वरनाथ रेणु जी के जयंती पर साहित्य आजकल के अध्यक्ष व संस्थापक जी की अध्यक्षता में व्हाट्सएप पटल पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लिए सभी रचनाकारों की रचना नीचे प्रस्तुत की जाती है। आशा है आप सभी की रचना पढ़ कर आनंदित व लाभान्वित होंगे।



    

1:-   स्वराक्षी स्वरा    

फारबिसगंज के सत्पुरुष थे,फणीश्वर रेणु नाम
साहित्य बगिया पुष्पित जिनसे,उनको करें प्रणाम।।
साहित्यिक पथ पर ही चलकर,जग में हुए महान
जनमानस के शब्द चितेरे,रखे मृदुल मुस्कान ।।

 विराटनगर से विराट विरासत,पल में हासिल की
निर्झरणी में कैद कर लिया,पीड़ा जन-जन की ।।
स्वतंत्रता संग्राम में कूदे , गांधी जी के साथ
देख के ऐसी लगनशीलता, वाणी ने पकड़ा हाथ ।।

मैला आँचल, कितने चौराहे,परती परिकथा
उनके हर लेखन में दिखती, जनमानस व्यथा ।।
केंद्र बिंदु में उनके शामिल,शोषित पीड़ित बन्ध
देशज माटी से जुड़कर ही,रखे सदा सम्बन्ध ।।

है साहित्यिक लोक के रेणु,जी जीवंत प्रमाण
हाय! मगर क्यों हो रहा अपने घर मे ही अवमान?
माटी से मानव जीवन का,खींचा सच्चा चित्र
आज मगर उनको हम भूले, है कैसा खेल विचित्र ।।

अपनी माटी,अपनी बोली, अपनेपन को जान
रेणु जी के इस कथन को,अब तो भैया मान ।।
गीतों की गोदी में बस कर,रचे गद्य के फूल
आने वाली पीढ़ी-पथ से चुनके हटाये शूल।।

विश्व मंच पर लोक संस्कृति को,दिलवाई पहचान
शब्द-श्रमिक से बढ़कर रेणु जी थे शब्द किसान ।।
स्वरा निवेदति है जन-जन से आओ मिलाओ हाथ,
गूंज उठे साहित्यिक नारा, फिर हो साहित्य विकास ।।।

*स्वराक्षी स्वरा*----✍️




 

फणिश्रवर वो कहलाते हैं
आज इनकि जन्म जयंती पर
 हम सब है गदगदित,मनसे 
श्रृद्धांजलि वंदना करते हैं

वे थे हिन्दी भाषा के बड़े साहित्यकार।
४मार्च  ,१९२१ को।
बिहार के अररिया जिले में, 
हिंगना गांव में हुआ था ‌।
भारत नेपाल से शिक्षा प्राप्त की।
स्वतंत्र सेनानी बनकर 
क्रांतिकारी आंदोलन में शामिल हुए।
उनका उपन्यास मैला माचल,
सभी रचनाओं में सर्व श्रेष्ठ रहा।
अनगिनत साहित्य रचनाओं,
याद दिलाती प्रेमचंदजीकी। 
मशहूर हुआ कथासंग्रह 
एक आदिम रात्रि।
सबसे प्रशंसनीय, 
तीसरी कसम पर तो प्रसिद्ध फिल्म बनी।
पहला उपन्यास उनका
 मैला आंचल से वो जगमशहूर बने।
आज मैं कविता से उनको
मेरी श्रृद्धांजलि अर्पित करती  हूं।

रचयिता-कविता मोदीह
भरूच-गुजरात





        3:- रेणु जीवन परिचय:- राकेश बिश्नोई

       फणीश्वर नाथ 'रेणु' (4 मार्च 1921-11 अप्रैल 1977) हिन्दी भाषा के साहित्यकार थे। उनके पहले उपन्यास मैला आंचल लिए उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनका जन्म बिहार के अररिया जिले में फॉरबिसगंज के पास औराही हिंगना गाँव में हुआ था। उनकी शिक्षा भारत और नेपाल में हुई। इन्टरमीडिएट के बाद वे स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। बाद में 1950 में उन्होने नेपाली क्रांतिकारी आन्दोलन में भी हिस्सा लिया । उनकी लेखन-शैली वर्णणात्मक थी । पात्रों का चरित्र-निर्माण काफी तेजी से होता था ।उनका लेखन प्रेमचंद की सामाजिक यथार्थवादी परंपरा को आगे बढाता है । उनकी साहित्यिक कृतियाँ हैं; उपन्यास: मैला आंचल, परती परिकथा, जूलूस, दीर्घतपा, कितने चौराहे, पलटू बाबू रोड; कथा-संग्रह: एक आदिम रात्रि की महक, ठुमरी, अग्निखोर, अच्छे आदमी; रिपोर्ताज: ऋणजल-धनजल, नेपाली क्रांतिकथा, वनतुलसी की गंध, श्रुत अश्रुत पूर्वे । तीसरी कसम पर इसी नाम से प्रसिद्ध फिल्म बनी ।


 4:- 


*फणीश्वर नाथ रेणु*
•••••••••••••
धन्य हुआ अररिया,
जन्मा फणीश्वर महान,
सर जमीन बिहार की,
तुम्हें शत शत प्रणाम।

साहित्य के आकाश में, 
चमकता हुआ एक नाम,
 सीधी सरल सहज भाषा, 
रचना‌ बडी  बेमिसाल।
जुड़ा जमीन से इक कवि,
पला अंचल की छांव,
 देश का नाम किया रोशन,
धन्य अररिया गांव।

आंदोलन का हिस्सा बनकर 
नेता भी कहलाए आजादी की 
लड़ाई लड़ाई देश स्वतंत्र कराएं।

मैला अंचल जीवन में, उजाला भर गया,
पद्मश्री उपाधी पायी,अमरत्व दिला गया।
धन्य है फणीश्वर रेणु,तेरी कलम की उचाईंया,
याद करेंगी जिनको, जाने कितनी सदियां।।
********************
सुखमिला अग्रवाल’भूमिजा’
 स्वरचित मौलिक
 सर्वाधिकार सुरक्षित
 मुंबई



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2 comments:

  1. फणीश्वरनाथ रेणु जी की जयंती के अवसर पर आदरणीया कवयित्री श्रीमती स्वराक्षी स्वरा, कविता मोदीह एवं आदरणीया कवयित्री श्रीमती सुखमिला अग्रवाल जी की बेहतरीन कविता के लिए सस्नेह बधाई नमन तथा अनंत मंगलकामना ।

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  2. फणीश्वरनाथ रेणु जी की जयंती के अवसर पर उनकी जीवनी पर प्रकाश डालती बेहतरीन आलेख के लिए आदरणीय कवि श्री राकेश बिश्नोई जी को सहृदय बधाई तथा अनंत मंगलकामना ।

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