3/9/21

महिला दिवस पर विशेष कार्यक्रम:- नगेंद्र बाला बारेठ , सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह, डॉ. छाया शर्मा

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की सभी को बहुत बहुत बधाई सह ढेरों शुभकामनाएं। नारी शक्ति को प्रणाम करते हुए यहाँ देश की विभिन्न क्षेत्रों के लोकप्रिय रचनाकारों की रचना प्रेषित करते हुए मैं काफी उत्साहित हूं। आशा है आप नीचे दिए गए सभी रचनाकारों की रचना को पढ़ कर टिपण्णी अवश्य करेंगे। 

आइये चंद अल्फाजों से महिला दिवस की शुरुआत करते हैं:- 

जिसने हर दर्द को भुलाकर चलना सीखा,

खुद से ज्यादा अपनों के लिए जीना सीखा,

पल में आंसुओं को रोक  मुस्कुराना  सीखा

वह है नारी जिसने घर स्वर्ग बनाना सीखा।।

                     ✍️ हरे कृष्ण प्रकाश

जिन रचनाकारों की रचना नीचे प्रेषित की जा रही है उनका नाम निम्न है- नगेंद्र बाला बारेठ , सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह, डॉ. छाया शर्मा, अजमेर,विनोद  कश्यप,  सोनी अमर सीधी, 

 



   1:-.      नारी:- नगेंद्र बाला बारेठ

नारी तू नारायणी,तू है गुण की खान।

नारी से ही महकता,घर,समाज संसार।।

तू शिक्षा जो देती है ,उससे फलता जीव,

तेरी छत्र छाया में सुख पावे सब जीव।।

ऋषि मुनि भी तेरे आगे झुकते,तेरा रूप अतुल्य।

निस्वार्थ भाव से देती रहती,ना लेती कुछ मूल्य।।

नारी सुंदर सौम्य है,नारी का मन मोम।

सब के उर की जानती,उज्वल उसकी कोम।।

नारी सबला रूप में कर सकती सब काज।

तनिक थकावट नही दर्शाती ये है नारी जात।।

सब ही रूप में नारी जीना है सिखाती।

आत्मसम्मान व अनुशासन की परिभाषा समझाती।

नारी की कोख से ही आती है इक नारी,

फिर रोना मातम क्यू छाता जैसे हो वो कुछ हारी।।

नारी की मुस्कान से फैले चहुं दिस उजियारा।

घर आंगन महके सारा ,महके बाबुल का द्वारा।।


सशक्त बलो से युक्त मैं नारी हूं,

सुविचार,सुमति से युक्त मैं नारी हूं,

गहनों ,कपड़ो से  मर्यादित मैं नारी हूं,

प्रकृति की हर देन में जिसका हिस्सा है मैं वो नारी हूं,

👉👉नगेंद्र बाला बारेठ ,


2:-.    अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की झंकार :- सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,



अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की है झंकार,

नारी शक्ति हो गई है अब अगम अपार।

कोमल वाणी, कठोर निर्णय, नरम शैली,

सुंदर और सभ्य आचरण, मधुर व्यवहार।

लाख लाख बधाईयां, शुभकामना संदेश है,

कोटि कोटि नमन और जयहिंद नमस्कार।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस………..


थक हारकर काम से जब पुरुष बैठ जाए,

फिर से कर देती है, नई ऊर्जा का संचार।

हारा पुरुष फिर से खड़ा हो जाता तनकर,

लड़ने को, कुछ करने को, फिर से तैयार।

जीत ही दिखती है, मानती कभी न हार,

काली, दुर्गा और सरस्वती का अवतार।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस………….


बेटी हो या बहू, दोनों रूप में लक्ष्मी है,

हर भूमिका नारी की होती है असरदार।

अपने रूप से नारी, स्वरूप बदल देती है,

दुनिया के कोने कोने में, जय जयकार।

पुरुष समाज है अगर सही में ईमानदार,

हनन नहीं करे कभी, नारी के अधिकार।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस……….


नारी शक्ति का, इतिहास है बड़ा पुराना,

रूप श्रृंगार के साथ थाम सकती तलवार।

नारी कदम से कदम मिलाकर चलती है,

कमजोरी नहीं लगती, पायल की झंकार।

यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमन्ते तत्र देवता,

यही है नारी शक्ति पर, देश का विचार।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस………..

“अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के शुभ अवसर पर नारी शक्ति को नमन एवं नमस्कार तथा हृदय तल से ढेर सारी शुभकामनाएं एवं बधाईयां।“

प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।

सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,

नासिक (महाराष्ट्र)/ जयनगर (मधुबनी) बिहार




3:-.     नारी :- डॉ. छाया शर्मा, अजमेर

नारी नहीं बेचारी है

दुर्गा,चंडी, अवतारी है l

शक्ति को अपनी पहचाने

अधिकारिणी दुनियाँ की बनती l


ये ही मीरा बनी, सावित्री बनी

यही रानी बनी थी झाँसी की

भक्ति शक्ति से दुनियाँ की 

 है अमर कहानी तू नारी l


विज्ञान कला के क्षेत्रों में

कल्पना की ऊँची उड़ान भरी

है दीप जलाये नारी ने

बोले है प्रेम मधुर वाणी l


व्यापार, चिकित्सा सेवा में

कंधे से कंधा मिला है चली 

 संग हाथ बंटाये इस जग का

जग की है तारनहार बनी l


नारी के बिन सूनी बगिया

नारी से हरी जीवन बगिया

सृजन का है श्रंगार बनी

जग जीवन की खिलती बगिया l 

     ----डॉ. छाया शर्मा, अजमेर

           राजस्थान




*चित्रकार यदि चित्र  बना दे**--विनोद कश्यप*

*चित्रकार! यदि चित्र बना दे तो - मैं जानूं।*

*मनचाहे यदि भाव दिखा दे- तो मैं  जानूं ।।*

  *+     +    +      +    +*   +*

*चौराहों पर शैशव डोलें हाथ पसारे*। 

*भूखा यौवन भटक रहा हो द्वारे-द्वारे।।*

*मंदिर का भगवान् खड़ा हो भोग चबाता*। 

*कुर्सी का भगवान् देखकर हो मुस्कराता ।।*

*चारों ओर रूआंसे मुखड़े  बहते आंसू।*

*डगर-२ पे मचती हाहाकार दिखादे तो मैं जानूं।*

*चित्रकार यदि चित्र बना दे तो मैं जानूं।।

*दुशासन  हों द्रुपद - सुता का वसन खींचते।*

*गली-गली में कवि फिरते हों- गीत  बेचते।*

*लाखों तारा कफ़नों के हित सिसक रही हों।*

*लाखों सीता  स्वयं- क्रीत सी झिझक रही हों।*

*कुलक पिशाची - गिद्ध सा झपटा निर्भया 

अस्मत तार-तार हो 

चित्र ऐसा तूं कोई चित्र बना दे तो मैं जानूं।।*

*चित्रकार यदि चित्र बना दे तो मैं जानूँ!*

*नारी-नारी     बिलख    रही  हो,* 

*बेटी- बेटी     सिसक    रही हो।*

*भूखे भेड़िये   बदन    फाड़ते,*

 *नोच-नोचकर  उसे    चाटते !*

*तोड़ कमरिया जीभ    काटते*

*तूं ! उन पर   पालनहार  बुला दे*

*लुटेरों पर   जो  चक्र  चला  दे!* 

*कलयुग का ही अन्त करा दे तो मैं जानूं ।*

*चित्रकार यदि चित्र बना दे तो मैं    जानूं   ।*

*मनचाहे   यदि  भाव  दिखा दे तो मैं जानूँ!!*

              *----विनोद कश्यप*

         *2868 सैक्टर - 38 सी, चण्डीगढ़ -


दोहा- नारी! :- अमरनाथ सोनी अमर सीधी, 

नारी है नारायणी, दुर्गा का अवतार! 

सृजनी पालक वह बनी, करे दुष्ट संहार!! 1!! 

चंदन काजल दोउ है, नारी के निज हाथ! 

चंदन से गौरव मिले, काजल अपयश साथ!! 2!! 

जिस घर में नारी रहे, पढ़ी लिखी होशियार! 

मर्यादा उसकी भली, गौरव मय परिवार!! 3!! 

सृजनी, पालक, धर्मिणी, नारी है गुण -खान! 

है इनका श्रृंगार ये, सत्य पती ब्रत जान!! 4!! 

पैदा करती वीर अति, नारी- शक्ति अपार! 

जगत भलाई के लिए, लेती है अबतार!! 5!! 

धन्य -धन्य वह नारि है, दिया सुधाकर सिंह! 

भारत के रक्षा हिते, भये शहीदी चिन्ह!! 6!! 

बिन नारी घर में सदा, दिन में हो अधियार! 

स्वचछ, शान, गौरव नही ,ना होवे उजियार!! 7!! 

 कुण्डलिया- नारी! 

पैदा करती वीर वह, देय देश को दान! 

भारत के रक्षा हिते, नारी जगत महान!! 

नारी जगत महान, अवनी का पापें हरती! 

करती जग उद्धार, दुष्ट का नाशें करती!! 

कहत अमर कविराय, जगत का है वह महती! 

करे दुक्ख का नाश, वीर वह पैदा करती!! 

अमरनाथ सोनी अमर सीधी, 


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