4/21/21

अकेले छोड़ देती है- मिथुन

शीर्षक:- अकेले छोड़ देती है- मिथुन  

साहित्य आजकल टीम की ओर से बहुत ही शानदार रचना के लिए बहुत बहुत बधाई सह ढेरों शुभकामनाएं


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शीर्षक:- अकेले छोड़ देती है- मिथुन 

कितनी ही साद मोहब्बत हो,

अकेले छोड़ देती है

वफा के सुर्ख दीवारों को,

अंततः हिज्र तोड़ देती है!


बड़ी कलम की ये बातें

 कहाँ तक सच्ची है?

बेपनाह प्यार में ठोकर

 ये बातें कच्ची है!


जो मुझसे प्यार करती है,

वो जां है मेरी

बेवफाई बुनियाद नहीं जिस दिल में,

वो दिल माँ है मेरी!

✍️ मिथुन 

अररिया, बिहार


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1 comment:

  1. साहित्य आजकल के
    सम्पादक महोदय हरे कृष्ण प्रकाश जी को सहृदय धन्यवाद

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