5/14/21

अक्षय तृतीया {आखातीज}:- त्रिलोक सेजू गंगावास


                अक्षय तृतीया {आखातीज}:- त्रिलोक सेजू गंगावास 

किसान कौम का मुख्य पर्व अक्षय तृतीया आज के समय में केवल दिन का प्रतीक बनकर ही रह गया है। पहले के समय किसानों का इस त्योहार के प्रति कितना उत्साह था। जब किसी बुजुर्ग से सुनते है तो आज के समय में हम इस त्योहार के प्रति खुद को नदारद पाते है। 

Sahitya Aajkal:- एक लोकप्रिय साहित्यिक मंच 👇💞 Sahitya Aajkal Youtube Channel link plz Subscribe Now ...💞👇Sahitya Aajkal Youtube से जुड़ने के लिए यहाँ click करें

उखड़ ग्या ऊखळ, भिखर ग्या केवटणा,

राईज्गी हांडिया'न, तीड़ ग्यी डुहिया।


पहले के समय में जब भी यह पर्व आता था तो घर की औरतें अलसुबह जल्दी उठकर चक्की पीसती थी। जल्दी उठ कर खींच कूटती थी। एक बड़े मिट्टी के बर्तन में सब्जी बनाती थी। छोटे बर्तनों में शुद्ध व्यजंन बनाके घर के सदस्यों को परोसती थी। उस व्यजंन को खाकर किसान कौम कितना प्रफुल्लित होता था। लेकिन आज के समय में वो सब केवल मुंह की बातें ही रह गयी। 


रै रूढ़ी आखातीज कटै री वे पैला री बातों,


तन उघाड़े हलिया खड़ता,

जम ने खाता खींच।

कौठड़िया रो ठावों पूछता,

जद आती आखातीज।


किसान जल्दी उठकर हाथ मे लकड़ी का हल लेकर खेत जाते थे। सुबह सुबह पंछी-पंखेरू की आवाज से शगुन को पहचान लेते थे। अग्रिम मौसम की भविष्यवाणी कर लेते थे। किसान कितने बलवान हुआ करते थे। एक मण के बराबर खींच खा लेते थे। लेकिन आज के समय में तो बाजरे की आधी रोटी भी नहीं पसती है। घी, गुड़ और दूध को खींच में मिलाकर बनाकर पी जाते थे। आज तो किसी को गुड़ से नफरत है, कोई गुड़ के साथ दूध नहीं खा सकता है। किसी ने तो खींच का नाम ही नहीं सुना है।    पहले आखातीज के दिन किसान एक जगह गांव के चौक में इकट्ठा होकर प्रेम की बातें करते थे। घर घर जाकर खींच जीमते थे। आज तो इकट्ठा होना तो दूर अनेक तो किसी का मुंह तक देखना नहीं चाहते है।


कठै बो प्रेम, कठै बे अपणायत आली बातां।


सवेरे किसान कौम के दुलारे, प्रकृति के प्यारे जब अपने नन्हें नन्हें हाथों से हल के माध्यम से जमीन को खोदते थे।    तो यह प्रकृति भी उन पर हर्ष करती थी। उनके पैरों में बजने वाली घण्टिया दूर दूर तक मधुर संगीत का एहसास कराती थी। उनके मुख से निकलने वाली वो संगीत की कला से प्रकृति खुद आकर उनका स्वागत करती थी। आज तो लोग प्रकृति से ज्यादा तो भौतिक सुखों को अपने पास रखे हुए है। आधुनिकीकरण की इस दौड़ में किसान कौम के प्राकृतिक त्योहार भी विलुप्त होते जा रहे है।


गांवो की पहले की आखातीज को कभी किसी से सुनता हूँ, तो बड़ा दुःख होता है। तब न कोई वैर था, न कोई ओछापन। चारों और अगाध खुशियां व प्रकृति प्रेम ही व्याप्त था। अब तो सब लोग खलिया खेती भी भूल गए। भूल गए हाळी अमावस भी। त्योहार का तरीका भी भूल गए। आज तो अक्षय तृतीया का त्योहार केवल सोशल मीडिया पर औपचारिक सा हो गया है। प्रकृति से जुड़े त्योहारों की जगह बर्थडे,एनिवर्सरी ने ले ली है।


त्योहारों रो तरीकों भूल ग्या,

भूल ग्या खलियों खींच।

पड़गी सूनी आबाद कोटड़ी,

आछी आई आ आखातीज।


कभी क्षय न हो हम सबका आपसी स्नेह, प्रेम नित भरता रहे अक्षय भंडार, प्रकृति सब को प्रसन्न रखें। सब प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्यों को समझें। आपसी प्रेम भाव के विचारों का प्रवाह हमेशा अनवरत रहें।


अक्षय तृतीया की शुभकामनाएं।

शुभेच्छु:-- त्रिलोक सेजू गंगावास {बाड़मेर}


इस कविता को आप साहित्य आजकल के यूट्यूब से भी वीडियो के द्वारा देख सकते हैं व परिस्थितियों को अनुभव कर सकते हैं। यहाँ क्लिक करें👇

https://youtu.be/OWkofHwXreg



भाग लो इनाम जीतो कार्यक्रम की पूरी जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें। 

आशा है आप नीचे लिखे सभी कार्यक्रम से अवगत हो जाएंगे।

7:- साहित्य आजकल के द्वारा वर्तमान में "भाग लो इनाम जीतो" कार्यक्रम आयोजित की गई है। आप नीचे के वीडियो से जानकारी ले सकते हैं 👇👇

भाग लो इनाम जीतो कार्यक्रम की जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें

6:- हमारी छठी कार्यक्रम "महिला दिवस 2021" भव्य कवि सम्मेलन की खबर को पढ़ें 👇👇

5:- साहित्य आजकल के द्वारा आयोजित पाँचवी कार्यक्रम " प्रेम है अनमोल" की पूरी वीडियो देखें कि लिए यहाँ क्लिक करें

4:-  साहित्य आजकल के द्वारा आयोजित चौथी कार्यक्रम "कोरोना कहर 2020" की पूरी वीडियो देखें कि लिए यहाँ क्लिक करें

3:- हमारी तीसरी कार्यक्रम "कलाम तुझे सलाम"  भव्य कवि सम्मेलन की खबर को पढ़ें 👇👇

कलाम तुझे सलाम कवि सम्मेलन की पूरी खबर पढ़ने के लिए यहाँ Click करें

  साथ ही पूरी वीडियो देखें कि लिए यह क्लिक करें


 

आकाशवाणी से प्रसारित हरे कृष्ण प्रकाश की छः कविताएँ को सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें

रेणु जी का जीवन परिचय यूट्यूब पर सुनें👇

कोरोना पर सबसे बेहतरीन कविता नीचे दी जा रही है जरूर सुनें👇👇👇👇👇👇

            कोरोना कविता के लिए यहाँ click करें



यदि आप अपनी प्रस्तुति Sahitya Aajkal की Official Youtube से देना चाहते हैं तो अपनी रचना या वीडियो Whatsapp  करें 7562026066


Youtube Channel link--  Sahitya Aajkal  plz Subscribe Now 

https://www.youtube.com/channel/UClgT-IA2azYIjv86gDYHXnA



No comments:

Post a Comment