अजीब प्रेम है बड़ा-राजेश कुमार राठौर "राज"
Sahitya Aajkal:- एक लोकप्रिय साहित्यिक मंच 👇💞 Sahitya Aajkal Youtube Channel link plz Subscribe Now ...💞👇Sahitya Aajkal Youtube से जुड़ने के लिए यहाँ click करें
शीर्षक :-प्रेम
विधा:-पञ्च चामर छंद
अजीब प्रेम है बड़ा, सुपाक ताल-मेल है।
सुरूप को निखारता, विशुद्ध-शुद्ध तेल है।
पुमान को उदारता, पवित्र भाव दे सदा।
भरे सुलज्ज भावना, सुपात्रता करें अदा।
रहें न दाग आप में, यही निशान प्रेम का।
बसे सजीवता जहाँ, वही सुमार्ग नेम का।
जुबान में मिठास हो, मनुष्य ना उदास हो।
मिले पनाह भी जहाँ, यही सप्रेम आस हो।
बहे न दास्ताँ जहाँ, निदान भी स्वतंत्र हो।
सुनें सभी व्यथा-कथा, फरेब ना हि तंत्र हो।
निदाग हो मनुष्यता, न हो कहीं दरिंदगी।
रहें सुजान प्रेम से, बढे़ असीम बंदगी।
(स्वरचित)
राजेश कुमार राठौर "राज"
पूरनपुर पीलीभीत (यूपी)
फणीश्वरनाथ रेणु जी की पूरी जीवनी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
इस कविता को आप साहित्य आजकल के यूट्यूब से भी वीडियो के द्वारा देख सकते हैं व परिस्थितियों को अनुभव कर सकते हैं। यहाँ क्लिक करें👇
भाग लो इनाम जीतो कार्यक्रम की पूरी जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।
आशा है आप नीचे लिखे सभी कार्यक्रम से अवगत हो जाएंगे।
7:- साहित्य आजकल के द्वारा वर्तमान में "भाग लो इनाम जीतो" कार्यक्रम आयोजित की गई है। आप नीचे के वीडियो से जानकारी ले सकते हैं 👇👇
भाग लो इनाम जीतो कार्यक्रम की जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें
6:- हमारी छठी कार्यक्रम "महिला दिवस 2021" भव्य कवि सम्मेलन की खबर को पढ़ें 👇👇
3:- हमारी तीसरी कार्यक्रम "कलाम तुझे सलाम" भव्य कवि सम्मेलन की खबर को पढ़ें 👇👇
कलाम तुझे सलाम कवि सम्मेलन की पूरी खबर पढ़ने के लिए यहाँ Click करें
साथ ही पूरी वीडियो देखें कि लिए यह क्लिक करें
आकाशवाणी से प्रसारित हरे कृष्ण प्रकाश की छः कविताएँ को सुनने के लिए यहाँ क्लिक करें
कोरोना पर सबसे बेहतरीन कविता नीचे दी जा रही है जरूर सुनें👇👇👇👇👇👇
कोरोना कविता के लिए यहाँ click करें
No comments:
Post a Comment