पहले तुम कृष्ण बनना सीखो- मंजूषा उर्फ़ राधे
विषय प्रेम
चाहत सबकी प्रेम सच्चा।
चाहत हर दिल की प्रेम है जैसे।
चाहता हर कोई प्रेम सच्चा ,
पर भूल जाते देना सच्चाई खुद प्रेम में,
चाहत सबकी प्रेम सच्चा।
चाहत राधा की रखते दिल में
और भूल जाते कृष्ण सा प्रेम राधा से।
चाहत सबकी प्रेम सच्चा।
सच्चा प्रेम जो पाना चाहो
जिंदगी में तुम पहले देना सीखो,
राधे की चाहत रखने वालो
मिल जाएगी राधा भी
पहले तुम कृष्ण बनना सीखो।।
चाहत सबकी प्रेम सच्चा।
अधूरा हर कोई है आज
जिंदगी में चाहत सबकी प्रेम है सच्चा,
बस होते वादे अब जैसे लफ्जो के,
निभाना जैसे अब कि कोई ना उसे सीखा।
चाहत सबकी प्रेम सच्चा।
✍️ मंजूषा उर्फ़ राधे
मध्य्र प्रदेश
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