6/14/21

आरजू यहीं है की पा लूं तुझे:- संदीप " माही "अमेठी

 साहित्य आजकल टीम के द्वारा दी गई विषय पर आ0 आपने बहुत ही सुंदर सृजन किया है इसके लिए आपको बहुत बहुत बधाई व ढेरों शुभकामनाएं। आशा है आप साहित्य आजकल से जुड़ कर अवश्य लाभान्वित होंगे। 

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    विधा - मुक्तक

     शीर्षक - आरजू


आरजू यहीं है  की पा लूं तुझे।

धड़कनों में अपनी छुपा लूं तुझे ।

देख न पाएं तुझे दूसरा कोई ।

अपनी नजर में बसा लूं तुझे ‌।


 मेरी सांसों में महकती रहो तुम  ‌।

आवाज बनकर चहकती रहो तुम।

तुझको पाने की चाहत  है मेरी।

दिल में मेरे दहकती रहो तुम ।


तेरे नयन  को मेरे नयन देखते ।

रुप जब तर्पण में स्वयं देखते ।

सब कुछ हकीकत नजर आ रहा।

क्या पता थी कि हम स्वयं देखते।


रात काली सही पर जिगर तो मिले ।

बात झूठी सही पर खबर तो मिले ।

आ कुछ पल मोहब्बत में जिले सनम।

बाद में चाहे दुख का सजर तो मिले।



तेरी यादों के सपने पले रात दिन ।

तेरी यादों की दिएं जले रात दिन ।

मैं तो बेशक इंतजार करता रहा ।

प्यार का फूल दिल में खिले रात दिन।



मुस्कुरा के भी हमेशा मुस्कुराते रहो।

छुपा के गम भी हमेशा मुस्कुराते रहो।

छू न पाएगा कोई तेरा दामन एं कभी।

हर घड़ी आप हमेशा मुस्कुराते रहो ।



            संदीप " माही "अमेठी

                   उत्तर प्रदेश ।

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