*संपूर्ण जीव जाती जिंदी है,*
*आज उसी पर्यावरण से||*
*रचनाकार -रवि शंकर कांगड़ा*
*-----5 जून 2021-----*
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पृथ्वी आच्छादित है चारों तरफ से,
जिस अनावरण से |
संपूर्ण जीव जाती जिंदी है,
आज उसी पर्यावरण से||
*इस जीवन के लालन-पालन के लिए ,*
*पर्यावरण एक उपहार है|*
*एक मानव एक पेड़ लगाइए,*
*अगर पर्यावरण से प्यार है||*
वरना हवा बिना जीना दुश्वार हो जाएगा,
विचार यह बात अपने हृदयावरण से|
संपूर्ण जीव जाती जिंदी है,
आज उसी पर्यावरण से||
जिंदा रहने के लिए उपयोग कर रहे हैं,
वे सब तत्व प्रकृति का हिस्सा है|
कोरोनाकाल में ऑक्सीजन विना मर रहे हैं,
यह पर्यावरण को अपमानित करने का किस्सा है||
नौबत आई कृत्रिम ऑक्सीजन देने की,
आज मानव जिंदे हो रहे हैं निराकरण से|
संपूर्ण जीव जाती जिंदी है,
आज उसी पर्यावरण से||
जैसे हवा पानी प्रकाश पेड़ पौधे,
भूमी जंगल अन्य प्राकृतिक तत्व|
मानव क्यों भूल बैठा है,
आज इन सब का महत्व||
शायद आज का मानव समझ जाए ,
इस कोरोना काल के उदाहरण से|
संपूर्ण जीव जाती जिंदी है,
आज उसी पर्यावरण से||
हमारी पृथ्वी का यह पर्यावरण,
शुद्ध जीवन के लिए महत्वपूर्ण उपयोगी है|
इसके बिना मानव पल दो पल जिंदा भी ना रहे,
जीव अस्तित्व जीवन के लिए इतना बड़ा सहयोगी है||
इस प्रकृति ने अभिमान तोड़ा देवी देवताओं का,
प्रकृति पूजा करना सीख ले तू वातावरण से|
वरना जीव अस्तित्व संकट उत्पन्न हो जाएगा,
पृथ्वी प्रकृति अशुद्ध पर्यावरण से||
संपूर्ण जीव जाती जिंदी है,
आज उसी पर्यावरण से||
यह हरी हरी हरियाली पेड़ पौधों की,
यह जीव के जीवन के अभिन्न अंग है|
जब से मानव इस धरा पर पैदा हुआ है,
जिंदा रहने में इसी पर्यावरण का संग है||
मानव जीवन जीने की कल्पना अधूरी रहेगी,
प्रकृति पर्यावरण के बिना जागरण से|
संपूर्ण जीव जाती जिंदी है,
आज उसी पर्यावरण से||
✍️ रवि शंकर कांगड़ा
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