7/24/21

गुरु की महिमा- अनुज पटैरिया 'आदिशेष'। मेरे गुरुवर:- डॉ अर्चना श्रेया।जिसने मेरा हाथ थामा:- नगेंद्र बाला बारेठ। गुरु जीवन आधार:- प्रमोद कुमार"सत्यधृत"

गुरु की महिमा- अनुज पटैरिया 'आदिशेष'। मेरे गुरुवर:- डॉ अर्चना श्रेया।जिसने मेरा हाथ थामा:- नगेंद्र बाला बारेठ। गुरु जीवन आधार:- प्रमोद कुमार"सत्यधृत"

 गुरुपूर्णिमा के शुभअवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं

गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर सादर समर्पित🙏🙏

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शीर्षक - गुरु की महिमा


अधखिले पुष्प बने ओजस,

अज्ञान तिमिर नित दूर करे ।

प्रफुल्लित हो मन ज्ञान कुंभ से,

खुशियों से जीवन मंगल करे।


भार संभाले पथ प्रदर्शन का,

निज जीवन को अर्पित कर ।

सभ्य समाज की नीव संजोता,

स्वर्णिम भविष्य को बनाकर ।


त्रिलोक बसा है चरणों में ,

अज्ञानता पर विजय है पायी।

जन्म दिया है माता-पिता ने ,

जीने की कला है सिखलायी।


गुरु आपके चरण कमल में ,

'आदिशेष' का नमन बारंबार है।

करे कल्याण मानव जीवन का ,

आपमे ज्ञान का भंडार अपार है।


कर अलौकिक अपने ज्ञानपुंज से,

मनुज का जीवन सफल बनाओ।

बैर,छल-कपट,स्वार्थ की भावना ,

ये सब द्वेष हिय से दूर भगाओ।


रचनाकार - अनुज पटैरिया 'आदिशेष'

               ( प्रधानाध्यापक, बेसिक शिक्षा)

पता - लक्ष्मी नगर, राठ रोड, उरई ,

           जिला - जालौन (उ. प्र.)

सर्वाधिकार सुरक्षित,मौलिक और स्वरचित

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श्रीराम शर्मा आचार्य पूज्य गुरुवर के सादर चरणों में मन के भाव समर्पित

             मेरे गुरुवर

हर दर जगत से न्यारा लगता।

दया का सागर प्यारा लगता।

अखिल विश्व परिवार बनाया।

 भेदभाव जाति पात मिटाया।

अंधविश्वास को खत्म किया।

दहेज प्रथा पर कार्य किया।

मृतक भोज को बंद कराया।

19वीं पुराण की रचना करता।

हर दर जगत से न्यारा लगता

गायत्री मंत्र दुनिया में फैलाया।

विश्व में एकता का पाठ पढ़ाया।

हरिद्वार में शांतिकुंज  बनाया।

नेकी अच्छाई धर्म सिखाया।

कुरीति उन्मूलन के प्रमुख करता।

हर दर जगत से न्यारा लगता।

धर्म विज्ञान साथ-साथ बताया।

 पीला रंग को जग में लहराया।

प्रगति पथ पर अग्रसर कराया।

माता जी को साथ ले पूनम लाया।

श्रेया संग आज विश्व नमन करता।

हर दर जगत से न्यारा लगता।

 दया के सागर प्यारा लगता।

             डॉ अर्चना श्रेया

                  बैंगलोर

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गुरु जी के चरणों में कुछ पंक्तियां.......


मैं मानव हूं,

इक हाड़ मांस का पुतला हूं,

खुद की काया,माया पर इठलाने वाला,

मैं मानव हूं।

अब तक मैं खुद में जी रहा था,

बस खुद को खुदा समझ रहा था,

हंसता,कभी इतराता मैं,

दानवीर हूं,देने वाला,कुछ भी अपने बस में कर लेने वाला,

किसी को भी अपने कदमों में झुका सकता हूं,

मैं श्रेष्ठ,स्वयं भू हूं।

पर एक दिन ये भ्रम टूट गया, अहंकार मेरा चूर हुआ,

अब गहरी नींद से जागा,और मेरा खुद से साक्षात्कार हुआ,

चारो तरफ देखा,तो घोर अंधेरा था,ना कोई मेरा अपना,ना कोई सहारा था,

ऐसे में मेरी सब गलतियों को माफ़ कर

जिसने मेरा हाथ थामा,

बस वो एक सतगुरु मेरा था,

वो ही मेरा किनारा था,

उसने मुझे भक्ति मार्ग दिखाया,

गिरते हुए को गले लगाया,

मोह,माया,लालच,कपट का पर्दा गिराया,

मुझे आत्म ज्ञान करवाया ।

वो प्रथम गुरु था मेरा,

बिन गुरु के मैं मर जाता,भटकता,

पर दे सहारा,गुरुवर ने मुझे इस भंवर जाल से उबार लिया,

मुझे जन्मों जन्मों तक तार दिया।।


नगेंद्र बाला बारेठ

हाल निवासी दिल्ली

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मंच नमन- साहित्य आजकल उत्तरप्रदेश

विषय-गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व 

विधा-कविता

शीर्षक- गुरुता

गुरुता  

(गुरु महिमापर प्रस्तुति)


गुरु जीवन आधार,गुरु भव-बंधन, पार कराता है।

सन्मुख हो,विपदा, आपद भी,पल में,संशय मिट जाता है।।

ये ज्ञान की,अविरल धारा है,जिसमें जीवन, तर जाता है।

इस जगत में,तप,से बढ़कर,सत्संग,बताया जाता है।।

    ये ज्ञान की---------


क्या ? लेखनी,बांध सके,गुरु सानिध्य आधार।

जीवन,रंग,रस-मय करे,ज्ञान की,अजब बहार।।

आदित्य, आक,दिनमणि, गुरु के रूप हजार।

गुरु बिन,जीवन नैया को,क्या पार करे, कहार।।

     आदित्य, आक,----


बनें शिष्य, एकलव्य, आरुणि,गुरु की गुरुता,का भान रहे।

देकर,प्राणों की,आहुति,गुरु महिमा का,मान रहे।।

गुरु दंभ करे,गर्व करे,

शिष्य,अस्मिता का,ज्ञान रहे।

मन, वचन,कर्म की,आभा से,जग में न कहीं,अंधकार रहे।।

    मन,वचन,कर्म,-----


ईश से बड़ा पद इस जग में,गुरु तुम्हीं ने पाया है।

मानव से इंशा बनने का,चक्र तुम्हीं ने रचाया है।।

गुरु महिमा का ज्ञान सकल,ग्रंथों में भरमाया है।

देवों की स्तुति से पहले,नमन गुरु का पाया है।।

       गुरु महिमा का---

       देवों की स्तुति----


शिक्षक----

प्रमोद कुमार"सत्यधृत"

पिनगवां(हरियाणा)

---122508




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