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10/14/21

एक शाम तुम्हारे नाम:- अर्चना आरची

 एक शाम तुम्हारे नाम:- अर्चना आरची


एक शाम तुम्हारे नाम:- अर्चना आरची

कभी हम साथ रहे नही

  नदी किनारा सागर तट कभी धूमा नही


पर फिर भी लकडी का फाटक खोले

तुम्हारा इंतजार किया


तुम्हारे राह को अपलक निहारती अखियां

     थक जाती थी ,तरूवर पर लगे फूल भी

बिखर जाते थे


हर शाम हम बस यूंही हाथो मे चाय का

  प्याला लिए ऐतबार करते रहे


कभी कभी तो पंग डडियो से आम के बौर सै

  कोयल की कूक से


और ढलते सूरज से पूछ आए


एक और अजनबी अनजानी शाम 

तुम्हारे नाम कर आऐ ।


✍️ अर्चना आरची

भोपाल मध्यप्रदेश

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