करो अम्बे जगत उद्धार:- अंजू व रत्ती
(करो अम्बे जगत उद्धार)
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(करो अम्बे जगत उद्धार)
लो आज फिर आया है नवरात्रि का त्योहार
एक बार फिर कर रही हूं मन में यह विचार
कन्या पूजन करने का दिवस यह माना जाये
किस कारण फिर बेटी को पेट में मारा जाये।
माँ का पूजन करते हैं कन्या रूप सजाये
लेकिन कन्या हो रही देखो आज असहाय
बेटा पैदा करके लोग खुशी से होते चार
पर बेटी पैदा होने से क्यों पहले देते मार
अम्बे आकर देख ले जग का यह दस्तूर
तेरी पूजा करते सब पर तुझसे रहते दूर
पाप नाशनी बन तूने जग का किया उद्धार
फिर क्यों कन्या रूप में दिखती तू लाचार
अम्बे दैत्य विनाशनी करो मन दैत्य विनाश
बढ़ता रहे तेरे चरणों में 'रत्ती' का विश्वास।
अंजू व रत्ती
होशियारपुर
पंजाब
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अद्वितीय रचना
ReplyDeleteअत्यंत सुंदर सार्थक संदेशप्रद कविता के लिए आदरणीया कवयित्री श्रीमती अंजु रत्ती जी को सहृदय बधाई व नवरात्रा की हार्दिक मंगलकामना ।
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