10/19/21

मैं एक पेड़ हूं :- संजीत गोयल

 कविता - पेड़ की दर्द 

मै एक पेड़ हूं सबको जीवन दान देती हूं

ईश्वर द्वारा दिया गया मै एक अनमोल रत्न हु

मै भूखे राही को फल और छाव देती हूं

मै एक पेड़ हूं सबको जीवन दान देती हूं।।

मै प्रकृति में सबसे ज्यादा महत्व रखती हूं

मै धारा का भूषण हूं करती दूर प्रदूषण हूं

नन्हा पौधा हो या बड़ा मै हरपल लहराती हूं

मै एक पेड़ हूं सबको जीवन दान देती हू।।

मुझे भी दर्द होती है जब मै काटी जाती हूं

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आंसू निकलते है जब अपने मित्र बृक्षो से बिछड़ती हूं

मैं उनसे ही काटी जाती हूं जिनको देख मै बडी होती हू

मै एक पेड़ हूं सबको जीवन दान देती हूं।।

मै अपने टहनियों पर बच्चो को झूला झूलती हू

अपने फल खिलाकर सबको मै प्रसन्न कर देती हूं

और मै अपना भोजन स्वयं बना लिया करती हूं

मै एक पेड़ हूं सबको जीवन दान देती हूं।।

✍️ संजीत गोयल

रहिलापाली सिकंदरपुर बलिया

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