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10/7/21

याद आईं बापू की बातें:- ज्ञानवती सक्सैना ‘ ज्ञान’

 

वैश्विक विपदा कोरोना काल के दौरान लिखी एक रचना


याद आईं बापू की बातें:- ज्ञानवती सक्सैना ‘ ज्ञान’

याद आईं बापू की बातें

सादा जीवन उच्च विचार

समझाते बापू चले गए

हम करते आए दरकिनार जो 

वे वो बातें बतलाते चले गए

जब पड़ी कोरोना की मार हमें

हमारे होश ठिकाने आ गए

आज मजबूरी में ही सही

हम बापू के अनुयायी हो गए

जश्न-पार्टी हुई बीती बातें

क्लब होटल ख्वाब हो गए

सानिध्य मिला अब मम्मी पापा का

जो सराय थे,घर-घर हो गए

पशु पक्षी को करते थे नजरअंदाज

अब हमारे प्यारे साथी हो गए

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पग-पग प्रकृति से किया खिलवाड़

प्रकृति से जुड़ने को बाध्य हो गए

अन्न-जल अतुलित पाया धरती से

उसके ऋणी,कृतज्ञ हो गए

सत्य-अहिंसा पर चलकर ही

स्थाई सुख-शांति आ सकती है

ये मन ही मन हम जान गए

श्रम,स्वच्छता की गहराई का

बापू बातों बातों में बतला गए 

सात्विकआहार,सात्विकविचार की

महत्ता को अब सब भांप गए

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भारतीय संस्कृति की श्रेष्ठता का

लोहा जग वाले मान गए

आत्मनिर्भरता,स्वदेशी जैसी

अब याद आईं बापू की  बातें

जो भटके थे,राह पर आ गए

पीर-पराई जाने जो कोई

दलितों के मसीहा हो गए

दीन-दुखी कीसेवा करना

है सच्ची मानवता सिखला हए

रचनाकार

ज्ञानवती सक्सैना ‘ ज्ञान’

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