कृष्णा
गोपियों के संग रास रचाने वाले लीलाधारी।
लो फिर दुष्ट दलनोकी खबर ओ गीता कारी।
महाभारत चल रही जगत में जगह-जगह मुरली धारी।
अतुलित गीता ज्ञान देने पुनः आओ त्रिपुरारी।
मीरा राधा अस्मत खो रही पल-पल कंसारी।
क्रूर दैत्य बढ़ गए बचाओ तारण हारी।
पग पग लूट रही लाज द्रोपदी की टेर सुनो बनवारी।
अधम पाप जड़ से उखाड़ो हे नियंता गिरधारी।
आज भी पूतना बहुत है वध करो तारण हारी।
तिमिर हुआ जगत में पूर्णमासी लाओ पालन हारी।
ध्रुत कीड़ा बढ़ी राजकाज संभालो जगकारी।
त्राहि-त्राहि मची हर तरफ नजर फिराओ जगत के हितकारी।
जग की विषादता हरो हे गांधीव धारी।
भटके हुए राही को धर्म प्रेम की राह दिखाओ बांके बिहारी।
कदम कदम पर छले हुए हैं लाज रखो संघारी।
पतितो को उधारने आ जाओ जगत के कल्याणकारी।
कहते हैं यह कलयुग है प्रेम धुन बरसाओ मुरारी।
अभी बैठे हैं कालिया नाग नाथने आओ वैकुंट बिहारी।
नदिया सागर में भी हलचल मची है गोविंद मुरारी।
प्राकृतिक विपदा से निजात दो मुरली धारी।
तोपों की आवाज यहां वहां से समाप्त करो अवतारी।
हे वृंदावन के वासी सर्व व्यापक कृष्ण मुरारी।
दानव के तारणहार ए मेरे गोवर्धन धारी।
नियत सीरत में कुछ और हैं जमाना बदलो मतवारी।
धराअंबर दोनों ने एक साथ आपको पुकारी।
कांटों भरी डगर पर फूल बिछा दो मोहक सूरत धारी।
एकता समता भाईचारा लाओ अर्जुन के सारथी संगवारी।
श्रेया एक माला में जगत को पीरा दो ब्रह्मांड धारी।
अप्रकाशित मौलिक रचना
डॉ अर्चना श्रेया
बैंगलोर
Sahitya Aajkal:- एक लोकप्रिय साहित्यिक मंच 👇💞 Sahitya Aajkal Youtube Channel link plz Subscribe Now ...💞👇Sahitya Aajkal Youtube से जुड़ने के लिए यहाँ click करें
यदि आप भी अपनी रचना प्रकाशित करवाना चाहते हैं या अपनी प्रस्तुति Sahitya Aajkal की Official Youtube से देना चाहते हैं तो अपनी रचना या वीडियो टीम के इस Whatsapp न0- 7562026066 पर भेज कर सम्पर्क करें।
कवि सम्मेलन की वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
साहित्य आज काल का बहुत-बहुत धन्यवाद बहुत अच्छा काम कर रहे हैं रचनाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए उनका योगदान बहुत प्रशंसनीय है।
ReplyDeleteशुक्रिया दीदी
Delete