कविता:- अलमारी में रखे पुराने खत
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कोई चिंता नहीं काम-धाम की,
रात-दिन मोबाइल चलाते है।
अलमारी में रखे पुराने खत,
हमें बहुत कुछ याद दिलाते है।।
याद करो वो दिन भी क्या दिन थे,
वर्षों बाद जब समाचार आते।
अलमारी में रखे पुराने खत,
हम सब के अन्तर्मन को छू जाते।।
आपाधापी के इस युग में भी,
उनकी अपनी अलग पहचान है।
अलमारी में रखे पुराने खत,
मीठी सी प्यार भरी मुस्कान है।।
कितना सुखद नजारा मनमोहक,
संस्कार संस्कृतियों की सुन्दर माला।
अलमारी में रखे पुराने खत,
आज भी वो करते है उजाला।।
मधुर वाणी अनुपम व्यवहार भी,
मिल खुशियों के थाल सजाते है।
अलमारी में रखे पुराने खत,
हमकों अपने पास बुलाते है।।
©®
रामबाबू शर्मा,राजस्थानी,दौसा(राज.)
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सुन्दर मनमोहक हृदयस्पर्शी सृजन के लिए तहेदिल से बधाई नमन आदरणीय ।
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