11/23/21

मेरे कान्हा आ जाना:- दीपमाला साहू

शीर्षक- मेरे कान्हा आ जाना

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मुरली बजाकर रास रचाने कान्हा आ जाना।

बाल रूप में हम सबको दरश दिखाने आ जाना।।


कदम पेड़ पर यमुना किनारे झूला झूलने आना।

संग राधा के कान्हा तुम रास रचा जाना।।

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गोवर्धन पर्वत उंगली पे उठाकर शरण बुला जाना।

शेषनाग पर करके नृत्य दरश दिखा जाना।।


मुरली बजाने वाले मेरे चित्त चोर श्याम आ जाना।

मोर मुकूट श्याम सबके मन को मोह जाना


गोपियों के माखन के मटके फोड़ने आ जाना।

फिर भी से रहे हम तेरे पुजारी श्याम आ जाना।।

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नंद के आनंद और यशोदा के दुलारे श्याम आना।

रास को रचाने वाला मेरे बनवारी आ जाना।


आसुरी प्रवृतियों का विनाश करने आ जाना।

लाज को बचाने वाला गिरधारी आ जाना।।


गोपियों के संग में कान्हा लीला दिखा जाना।

सृष्टि पर फिर से आकर प्रेम का पाठ पढ़ा जाना।।


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 _दीपमाला साहू_ 

 _धमतरी, छत्तीसगढ़_ 

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     संस्थापक:- हरे कृष्ण प्रकाश

          (पूर्णियां, बिहार)

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4 comments:

  1. अति सुन्दर मनभावन सृजन के लिए तहेदिल से बधाई एवं शुभकामनाएँ!

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  2. बढ़िया कविता। बहुत बहुत शुभकामनाएँ ����

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  3. बहुत ही अच्छा वर्णन किया आपने

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