वह सुख, जो मिलता है मुझे
बस तेरे साथ रह कर
हँस कर तेरे हर्ष में
और दु:ख में तेरे रो कर,
कर के तुझसे मीठी बातें
या नाराज तुझे कर कर।
एक सुख मिलता है मुझे
रह कर तेरे साथ हर पल
चाहता तो नहीं दिलाऊँ;
गुस्सा तुझे किसी पल,
पर कर बैठता हूँ
वही नादानी मैं हर पल।
मिलता है एक सुकून मुझे
कर के बातें तुझसे हर पल...
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✍️सुरसेन बहादुर
भभुआ - 06
कैमुर (भभुआ)
बिहार
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(पूर्णियां, बिहार)
धन्यवाद साहित्य आजकल और टीम 🙏🙏
ReplyDeleteमेरी कविता को आपने इस प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित किया और मुझे इसके लायक समझा इसके लिए आपका बहुत बहुत आभार।
Lines kuch jani pahchani si lagti hain.
ReplyDeleteGreat poetry ,Good effort ����..
Keep it up junior ����.
Thank you...
DeleteWahhh bhut acha lga...keep it on...👍👍👍
ReplyDeleteशुक्रिया बंधु
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteआभार 🙏
Deleteअतिसुंदर कविता
ReplyDeleteबहुत खूब
इसी तरह लिखते रहिए बहुत बढ़िया
बस आप लोग का प्यार और आशीर्वाद चाहिए 🙏🙏
DeleteBahut shandaar ...👌
ReplyDeleteशुक्रिया 🙏
Deleteबहुत बढ़या भैया
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद🙏💕
Deleteअति सुन्दर भावपूर्ण सृजन! सहृदय बधाई आदरणीय!
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