11/25/21

किसान के पीरा:- योगिता साहू

 किसान के पीरा


सावन मा तै गिरे नही

भरे अगहन मा बरसावत हस

हाय  रे मुडपिरवा  बादर 

आज सबो किसान ला तैं रोवावत हस


सावन के बरखा रानी तैं

अघ्घन मा काबर आवत हस

गिराके पानी झोर झोर के

काबर रार मचावत हस 

वाह रे  देखमरहा करिया बादर 

आज सबो किसान ला तै रोवावत हस

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जरूरत  रिहिस ओ   दिन मा

तब तैहा  तरसाए हस

आज किसान के बइरी बनके 

काबर तैहा आए हस

देश राज के अर्थव्यवस्था

काबर तैं डगमगावत हस 

वाह रे करिया बादर आज

 सबो किसान ला तैं रोवावत हस


जे दिन मा बलाए रेहेन 

ओ दिन मा भुलियार दिए 

धान लुवे के दिन मा काबर 

दुख के बादर ढार दिए 

कर्जा लदाए मुँड़ ऊपर मा 

काबर तैं इतरावत हस 

हत् रे करिया बादर आज 

सबो किसान ला तै रोवावात हस


✍️रचनाकार_ योगिता साहू

ग्राम _चोरभट्ठी, पोस्ट_ बगोद

जिला _धमतरी (छत्तीसगढ़)


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7 comments:

  1. बहुत बहुत धन्यवाद साहित्य आजकल ग्रुप को, आशा है आप सभी को कविता पसंद आई होगी साहित्य आजकल ग्रुप का बहुत बहुत आभार 🙏🙏🙏

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    1. सप्रेम आभार इसी तरह लिखती रहें

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  2. बहुत सुन्दर रचना क्या बात..बधाई।

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