11/9/21

ये समस्याएं भी क्या है? :- राजेश

 



समस्याएं :- राजेश

ये समस्याएं भी क्या है?  क्यों  है?

जितना ज्यादा सोचता हूं, इतनी गंभीर लगती है।

वह भी इश की तरह है, न आदी है, न अंत है।

ये जब भी पीछे पड़ती है तो लगातार बढ़ती ही रहती है।

वह जब आनी होती है तो वर्षा की तरह मंडराने लगती है।

सबकुछ बदलने लगता है मौसम की तरह,

फिर जमके बरसती है,अपनी आगोश में ले 

पूरा प्यार बरसाती है, और चली जाती है।

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हम कुछ नहीं कर पाते,

  उसका निचोड़ा प्यार जेलने की कोशिश करते है,

 बची हुई बूंदों को यहावहा जटकते है।

वह कही ना कहीं अपने निशान जरूर छोड़ जाती है

चाहे दिल पर या दिमाग पर।

स्वस्थ होकर हम फिर निजी काम में लग जाते है।

अछूत बने रहने की कोशिश करते है,

इसे रोकना हमारे बस में नहीं,हम सिर्फ झेल सकते है

हम सामना कर सकते है,हम इसे सुलझा नहीं सकते।

इसी असमर्थता को वीरता का आंचल ओढ़कर "पुरुष" बने फिरते है।

वैसे भी अब इसकी आदत सी हो गई है।

इसके बिना जीवन का आनंद ही नहीं आता।

वह किसी भी प्रकार में हो, आए जरूर।

समस्या का ना होना भी तो एक समस्या ही तो है।

              ✍️ राजेश 

                  ( मुंबई )


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          (पूर्णियां, बिहार)



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