बिषय :- मेरा मुस्कुराना तेरा जलना
हमारी मुस्कराहट देखकर उनको जलन होती है
राज जो दिल छुपाए बैठे हैं हम कैसे बतलाऐं
हमारे होंठों की मुस्कान तो देख ली है उन्होंने
दिल के जज़्बात को वो जाने क्यूं समझ ना पाए
यही सोचकर आंखों के सैलाब हम पी जाते हैं
एक वो ही थे जो दिल के करीब हमारे रहते थे
आज बेगाने से मिलते हैं जब भी वो मिलते हैं
हमारी मुस्कराहट देखकर वो जलते हैं
कहीं आंखों की बातें वो जान जाता करते थे
आज नजरें मिलाने से ही वो कतराते रहते हैं
मोहब्बत भी एक नशा जैसा ही तो लगता है
न चाहते हुए भी जिसकी लत लग जाती है
दिल में जख्म गहरे देकर दोस्त दगा करते हैं
हमारी मुस्कराहट देखकर उनको जलन होती है।
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स्वरचित एवं मौलिक रचना
अनुराधा प्रियदर्शिनी
प्रयागराज उत्तर प्रदेश
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संस्थापक:- हरे कृष्ण प्रकाश
(पूर्णियां, बिहार)
अति सुन्दर मनमोहक सृजन के लिए तहेदिल से बधाई आदरणीया ।
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