अपनापन
अपनापन
मैं सहज हूँ,मैं गमक हूँ
सहज ही रहूँगा,गमकता रहूँगा,
मैं भोला हूँ,
मुझमे भोलापन दिखेगा,
मुझमे अपनापन दिखेगा l
मैं दीवाना हूँ,
मुझमे दीवानापन दिखेगा,
मैं दिल की बातें करता हूँ,
मैं दिल से दिल की बातें करता हूँ,
मैं कवि हूँ, शायर हूँ, थोड़ा पागल हूँ,
मुझमें पागलपन दिखेगा l
लिखता हूँ मैं सत्य पर,
झूठ की बातें नहीं करूँगा,
दो टुक बातों का हूँ मैं आदि,
चिकनी चुपरी बातें मैं नहीं करूँगा,
सत्य का सत्यापन करूँगा l
लेखनी मेरी भी गरज रहीं है,
गरजना भी मैं करूँगा,
तुम्हें जो सोचना है, सोच लेना,
मैं लिखता रहा हूँ, लिखता रहूँगा,
कदम ज़ब चल पड़े तो
मैं पीछे नहीं हटूंगा l
राही हूँ,चलता रहा हूँ,
चलता रहूँगा l
- राही राज
(कर्नाटक)
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