बड़े हर्ष के साथ सूचित कर रहा हूँ कि लोकप्रिय साहित्यिक मंच साहित्य आजकल के द्वारा *"आपकी रचना-आपकी पहचान"* कार्यक्रम आयोजित की गई है। इस कार्यक्रम के निमित्त आ0 आशा बंसल जी की रचना प्रेषित है। आप सभी अवश्य पढ़ें व टिपण्णी दें।
मां शारदे को नमन एवं मंच को नमन🙏🙏
शीर्षक" शिक्षक दिवस"
शिक्षक दिवस हमें बहुत प्यारा है,
लेखनी को पहचान मान हमें दिलाता है !
याद करें मां पिता समान शिक्षकों को,
जिन्होंने भगवान से हमें मिलाया है l
हमारी कलम को लेखनी में पिरो कर,
बढ़ा दिया मान हमारा अपनी धरा पर l
शिक्षक ही ऊपर उठाते हैं शिष्य को,
नई राह दिखाते हैं अपने होनहार कोl
शिक्षक के आशीर्वाद से शिष्य भविष्य खिलता है,
शिष्य को नई मंजिल पर जाने का रास्ता मिलता हैl
शिक्षकों के एहसान को कभी चुका न पाएंगे ,
चुकाने उनके एहसान सात जन्म भी कम पड़ जाएंगेl
ज्योति इनकी जलाई कभी बुझ ना सकेगी,
गुरु का हाथ सर पर तो हमारी गरिमा मिट ना सकेगी l
आप हमें समझाते हो आप हमें पढ़ाते हो ,
हर अंक के साथ सुनने का महत्व बताते होl
शत शत नमन आपको प्रिय शिक्षक मेरे ,
आप को लंबी उम्र दे और रहे हाथ आपका सर पर मेरेl
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
धन्यवाद आशा बंसल
सिलीगुड़ी पश्चिम बंगाल🙏
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