कैसे मनाये त्यौहार ..
महंगाई की तीर ऐसी चली
कोई ना इस से बच पाया
सिलेंडर,तेल,दालें,सब्जी
कोई ना इस से बच पाया
कैसे मनाए त्यौहार
मुश्किल में है घर बार
आम आदमी का जीना
अब मौत से बत्तर हो गया
शायद जहर सस्ता हो गया
जीने के साधन तो महंगे हो गये
कैसे मनाये त्यौहार
मुश्किल में है घर बार
नेताओं के कोई भी
सुख सुविधाएं तो कम नहीं हुवे
बिजली,पानी,क्न्टीन
यात्रा भत्ता,महंगाई भत्ता
सब उनका वैसे ही चलता
सरकार बदलो या ना बदलो
सब हुकुम के हैं ये इक्का
मरता कौन डरता कौन
गरीब,आम आदमी,मध्य वर्ग
बताओ महंगाई देती कौन
सरकार या सरकार बनाने वाले हम
महंगाई के कसूरवार तो हम हैं
जो नेता बना कर इन्हें जीता कर
सांसद,विधायक,प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री
बना कर कुर्सियों में भेजते हैं
आज इस लिए तो कह रहे
कैसे मनाये त्यौहार
मुश्किल में हैं घर बार
मौलिक
राम भगत नेगी किन्नौर
हिमाचल प्रदेश
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अति सुन्दर संदेशप्रद कविता के लिए सहृदय बधाई आदरणीय!
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