धर्म, साहित्य और विरासत के सप्तरंगों को समेटे 'श्री राम अंतर्राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव
अयोध्या, 2022 ' भव्यता के साथ संपन्न.... राम रतन श्रीवास
..साहित्य आजकल की साहित्यिक ख़बर:-
श्री राम
अंतर्राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव भव्यता के साथ आँनलाइन संपन्न हुआ। यह 20 फरवरी 2022 को पी.आई.यू. ट्रस्ट द्वारा आयोजित किया गया। सरयू नदी की कल-कल करती आवाज, उच्च शिक्षा-दीक्षा, वेद-वेदांत, कोसल जनपद, अयोध्या प्राचीन धार्मिक नगरी, सप्त पुरियों में से एक मोक्ष दायी अयोध्या ,चौबीस तीर्थंकरों में से पांच तीर्थंकरों का जन्म, भगवान रामचंद्र जी का जन्मस्थली, प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग के साक्षी रहे अयोध्या के सांस्कृतिक परंपरा और विरासत को समृद्ध करने के उद्देश्य से यह आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में इस महोत्सव के संस्थापक डॉ० सुरेश सिंह शौर्य 'प्रियदर्शी' रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कल्याणी झा "कनक" द्वारा किया गया। कार्यक्रम संचालन ममता मनीष सिन्हा एवं आरती वाजपेई ने संयुक्त रूप से किया। इस मंच के सह संपादक राम रतन श्रीवास "राधे राधे" बिलासपुर (छत्तीसगढ़) उपस्थित रहे। प्रबंधक के रूप में सुश्री नीतू सिंह की अहम भूमिका रही।

कार्यक्रम की शुरुआत अन्नपूर्णा मालवीय द्वारा मांँ सरस्वती की वंदना से प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. सुरेश सिंह शौर्य "प्रियदर्शी" ने अपने उद्बोधन ने "रघुकुल रीति सदा चली आई" को आज के संदर्भ में समझाया। आगे उन्होंने कहा की आज संप्रदाय, भेदभाव और सभी समस्या का समाधान यदि कहीं है तो वह समाधान राम के चरित्र में है: हमें उनके आदर्शों पर चलकर सार्थक जीवन व्यतीत कर सकते हैं। 500 वर्षों के संघर्ष से राम मंदिर का निर्माण होने जा रहा है। हम इसी सभ्यता के लोग हैं जिसमें भगवान राम ने रामसेतु पूजा के लिए रावण जैसे महान पंडित को पूजा के लिए आमंत्रित किया। जबकि दोनों एक दूसरे के विरोधी थे। फिर भी, रावण ने राम को आशीर्वाद देते हुए कहा कि आपकी मनोकामना पूरी हो। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कल्याणी झा "कनक" ने नवधा भक्ति पर अपनी अभिव्यक्ति के माध्यम से सारगर्भित ज्ञान साझा किया।
देश भर से आज के काव्य पाठ मेें आचार्य कृष्णानंद (केदारनाथ धाम)' राम लखन रघुवर तिलक'।, जतिन मंडल -- तुम अगर सिंधु हो तो बूंद एक मुझे दे दो। मीरा (कोल्हान) -- क्या रूप यही है लोकतंत्र में नारी का ।चंद्रकला भारतीय-- शरण तिहारी हे राम भक्त । मंजुषा खाटूश्याम "राधे राधे" -- आदि से अंत है अंत से अनंत है। मंजीत कौर -- कण कण में बसे है राम मेरे। डॉ अर्चना श्रीवास्तव -- मर्यादा पुरुषोत्तम राम । निवेदिता सिन्हा-- पवित्र पावन नाम जिनका। कृपा सिंह -- ऐसा कौन है जो राम को पूजा नहीं होगा। ईश्वरचन्द्र -- दे दो हमें वह शक्ति मां। सुशील पाठक -- आया जो बसंत मेरा मन मेरा गुलजार हुआ। ललित शर्मा (भिलवाड़ा) -- मुझसे भी तो पूछे कोई राम विरह में कितनी रोई ।शांति -- सभी को शुभकामनाएं प्रेषित की। गोवर्धन-- मेरे गुरुदेव जगत में महान। रामरतन श्रीवास "राधे राधे"-- नमामि रामम् नमामि रामम् कहे ए प्रेमी निरंतर । रामसाय श्रीवास "राम" -- राम तुम्हारा नाम है प्यारा सुंदर है सबसे ।उषा श्रीवास -- मेरे अवध की सरयू श्री राम को बुलाती है । , रमेश बैस बिलासपुर (छत्तीसगढ़) एक नाथ करना मेरे स्वामी । अमिता -- अवध के राज दुलारा राम । प्रकाश-- जब-जब धर्म की हानि होती है। सच्चिदानंद -- बाली समय मुख निखरती मैया । नूतन -- जय श्री राम जय श्री हनुमान , प्रकाश-- जब-जब धर्म की हानि होती है। सौरभ -- शुभकामनाएं प्रेषित की । अंत में ममता मनीष सिन्हा के द्वारा श्री राम जी है शिव के नाथ की सभी साहित्यकारों ने अपने-अपने काव्यांजलि प्रस्तुत किया। सभी ने सुंदर प्रस्तुति देकर समां बांधे रखा।
पी.आई.यू. ट्रस्ट, गिरिडीह के अध्यक्ष शिक्षाविद दिनेश्वर वर्मा ने आयोजन दल की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन से ना केवल साहित्य का सृजन-संरक्षण होता है अपितु यह देश निर्माण में सहायक भी होता है। यह कार्यक्रम भारतोदय लेखक संघ के सहयोग से किया गया। संस्थापक "प्रियदर्शी ने सभी साहित्यकारों को बधाई देते हुए कहा कि श्री राम अंतर्राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव का आँफलाइन आयोजन 10 अप्रैल 2022 को अयोध्या में किया जायेगा। अंत में डांँ. "प्रियदर्शी" ने सभी आगंतुक विभुतियो का हृदय से आभार प्रकट करते हुए कहा कि यह एक ऐतिहासिक पल रहा है और सदैव यादगार रहेगा इसी के साथ कार्यक्रम समापन की घोषणा किया । उक्त कार्यक्रम की जानकारी राम रतन श्रीवास "राधे राधे" ने दी।
No comments:
Post a Comment