अब कभी ना होगा तेरा अंत!
कविता रचनाकार:- रविशंकर कांगड़ा
---रविवार ,6 फरवरी 2022----
तू इस जमाने की,
सबसे बड़ी हैं, भगवंत|
इस जीवन का अंतिम,
तेरा था यह बसंत||
जो यह कह गया है,
तेरा होकर के भी,
कभी ना होगा अंत||
तेरा कभी ना होगा अंत||
तेरी आवाज के जादू से,
अध खिला फूल भी खिला|
तुझे कहती है सारी खुदाई,
भारत देश की स्वर कोकिला||
हे स्वर की जादूगरनी,
तेरा स्वर जादू रहेगा अनंत|
अब तेरा कभी ना होगा अंत|
अब तेरा कभी ना होगा अंत||
तेरी आवाज के दीवाने सब लोग,
तुझे स्वर सम्राज्ञी कहते हैं|
तेरी आवाज सुनकर मदहोश होकर,
अपने आप को बढ़भागी कहते हैं||
यही है इस जीवन की सच्चाई,
नहीं है कोई कथा दंत|
अब तेरा कभी ना होगा अंत||
अब तेरा कभी ना होगा अंत||
हे भारत की कोकिला तुझको,
ये कवि राष्ट्र की आवाज कहता है|
खुदा भी जिसकी आवाज की तारीफ करें,
ये कवि तुझको गायकारों का ताज कहता है||
हे विश्व गायकारों की महंत|
अब तेरा कभी ना होगा अंत||
अब तेरा कभी ना होगा अंत||
जब तू गाती स्वर जादू गाजति,
तू सहस्त्राब्दी की सबसे बड़ी आवाज थी|
हे भारत देश की कोकिला तु तो,
सचमुच भारत देश की लाज थी||
तुम मधुर गायकी रसवंत|
अब तेरा कभी ना होगा अंत||
अब तेरा कभी ना होगा अंत||
जब भी सुनेगे तेरी आवाज को,
चलते चलते रहागिर भी रुक जाएगे|
तेरी शान में इस जमाने के गायकार,
तेरे चरणों में अदब से झुक जाएगे||
जिंदा रख के तुझको जीवंतता से भरे,
कभी ना होगा तेरा स्वरांत|
अब तेरा कभी ना होगा अंत||
अब तेरा कभी ना होगा अंत||
तू गायकी का सरताज,
तू गायकी में अंबर हो गई है|
तु इस मेरे भारत की मिट्टी में,
स्वर की देवी तु अमर हो गई है||
तुझमें स्वरों की बहार है,
तू ही है स्वरों का बसंत|
अब तेरा कभी ना होगा अंत||
अब तेरा कभी ना होगा अंत||
कवि की कलम से 2 शब्द:-
लता दीदी जैसी आवाज शायद ही अब सुनने के लिए मिलेगी| फिर भी आज के इस दौर मे लता जैसी आवाज कहीं नहीं है| लता दीदी की आवाज अमर है| अमर ही रहेगी| लता दीदी हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगी|लता मंगेशकर जैसा स्वर ना किसी का था , और ना ही कभी होगा।लता मंगेशकर स्वरों की दुनिया में बेताज बादशाह थी|*
*स्वरों की दुनिया में इस स्वर सम्राज्ञी का एकछत्र राज था|येआवाज की जादूगरनी,आवाज की दुनिया के क्षेत्र में चमकता सितारा थी|
लता जी को सर्वाधिक गीत रिकार्ड करने का भी गौरव प्राप्त है।
हिंदुस्तान के दिलों में लता दीदी का राज इस प्रकार से है कि, शायद ही कोई भारतवासी इस लता दीदी को भूल पाएगा| कवि की दृष्टि में लता मंगेशकर की आवाज गंगा सी पावन है| इस संपूर्ण विश्व में शायद ही लता दीदी जैसी आवाज, फिर कभी पैदा हो|भारत की इस महान गायकी को मेरा कोटि-कोटि नमन है|
नोट:- यह आलेख रचनाकार के खुद के विचार हैं अतः इस आलेख के सम्बंध में हर जवाबदेही रचनाकार की होगी।
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