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3/13/22

(भेदभाव:- पी. आर.बी) जन्म से पहले ही बेटी ने ऐसा क्या गलत कर दिया?

क्यों राकेश, बेटी के लिए इतनी नफरत मन में क्यों है? सम्पूर्ण कहानी अवश्य पढ़ें व अपना विचार टिपण्णी कर दें👇 

-:  भेदभाव  :- 

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रोशनी अपनी सास से बात कर रही थी फोन पे। रोशनी  माँ बनने वाली थी, अभी उसका 5वा महिना चल रहा था।

सास गाँव मे थी अभी और रोशनी अपने पति के साथ  शहर में, जहाँ उसके  पति नौकरी करते थे।

सास बोली-" देखो अब जब जाओगी डॉक्टर के पास तो साफ साफ पूछ लेना।" रोशनी कुछ बोलती उससे पहले ही राकेश ने उससे फोन ले लिया। "हा माँ पूजापाठ ठीक से हो रहा है ना, इस बार तो हमलोग नहीं आ पाए, अगले साल से सब साथ रहेंगे दुर्गा पूजा में तो मजा आएगा।"

डॉक्टर ने रोशनी को लंबी यात्रा से मना किया है।


उधर से राकेश की माँ बोली-' ' वो सब तो ठीक है, पहले तो ये बता की तूने डॉक्टर से क्यू नहीं पूछा की पेट में क्या है? सही है या गलत "।

राकेश बोला-"वो माँ मै पूछ नहीं पाया। "अच्छा ये बताओ तुम कब आओगी, टिकट बना देता हूँ। राकेश ने बात टाल दी।


रोशनी चुपचाप से राकेश के चेहरे को देख रही थी। वो इतना घबरा क्यों रहा था? रोशनी समझ नहीं पा रही थी।

जब राकेश ने फोन रख दिया तब रोशनी ने पूछा -" माँ क्या कह रही थी  #सही   गलत# . मैं समझी नहीं।"

अरे छोड़ो ना- राकेश ने उसे टालना चाहा।

"नहीं मुझे बताओ ना ! आप परेशान क्यूँ लग रहे हो ऐसी क्या बात है? "

रोशनी ने जिद पकड़ ली।राकेश ने देखा रोशनी मानेगी नहीं तो उसने कहा -"तुम्हे जानना है तो सुनो, माँ ये जानना चाहती है की तुम्हारे पेट मे बेटी है या बेटा।"

ये #सही गलत# ? ये क्या है? रोशनी ने फिर सवाल किया।

राकेश बोला-" सही मतलब बेटा और गलत मतलब.... आगे वो बोल नहीं पाया लगा जैसे शब्द उसके गले मे अटक गया हो। "गलत मतलब बेटी "- रोशनी ने पुरा किया। "और अगर जाँच कराने पे बेटी हुई तो क्या सोच रखा है आपलोगो ने? " रोशनी का चेहरा तमतमा गया क्रोध से।

" क्यों राकेश, बेटी के लिए इतनी नफरत मन में क्यों है?"

राकेश ने सफ़ायी दी -" नहीं ! कोई नफरत नहीं है, मेरी माँ तो बहुत सीधी साधी महिला है, तुम गलत समझ रही हो।" वो बस इतना चाहती है की पहली संतान बेटा ही हो।" तुम्हे भी तो अच्छा लगेगा ना जब तुम्हे बेटा होगा? राकेश ने उम्मीद से उसकी और देखा।

"नहीं राकेश। आप सिर्फ अपनी बात कीजिये मेरी नहीं। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता मुझे बेटी हो या बेटा।  मेरी खुशी सिर्फ इसमें है की मै माँ बनने वाली हूँ। "

"मैं सिर्फ इतना चाहती हुँ, जो भी हो वो स्वस्थ हो।"

राकेश ने कहा- अच्छा ठीक है, जैसा तुम कहो। तुम्हारे साथ कोई जबरदस्ती नहीं होगी।

नहीं राकेश बात सिर्फ इतनी सी नहीं है की आप बेटी होने पे उसे अपना लो। ये एहसान मुझे नहीं चाहिए। मैं ये सोच जानना चाहती हूँ की बेटी के लिए गलत/नकारात्मक शब्द का प्रयोग क्यों?


जन्म से पहले ही बेटी ने ऐसा क्या गलत कर दिया?

मुझे दूसरो की सोच से फर्क नहीं पड़ता लेकिन आपकी सोच? 

एक बात कहु अगर आपकी यही सोच है तो फिर मै एक फैसला करती हूँ आज,बेटी होने पे आपके और आपके परिवार के साथ मैं नहीं रहूँगी। मैं बिल्कुल बर्दास्त नहीं कर पाऊँगी की मेरी बेटी के साथ भेदभाव किया जाय।

"नहीं रोशनी, मैं कोई भेदभाव नहीं  नहीं करूँगा -राकेश बोला।

कैसे आपकी बात का विश्वास करू? अच्छा आप बताओ माँ की ये सोच आपकी नजर मे सही है या गलत?

"रोशनी होश में रह के बात करो, मेरी माँ है और माँ गलत नहीं हो सकती।" राकेश थोड़ा गुस्सा होता हुआ बोला।

 

 रोशनी बोली- "माँ गलत नहीं हो सकती है कैसे?"

"माँ के कहे अनुसार की बेटी गलत होती है , माँ भी तो किसी की बेटी ही है। और वो जन्म के साथ ही गलत हो गयी।"- रोशनी हल्का सा मुस्कुराते हुए बोली। "उनको भी तो बेटी है। और तो और उनके बेटी को भी बेटी है। इसका मतलब आपके परिवार मे इतने सारे नकारात्मकता है।" "सोच बदलिए राकेश, बेटी बेटा में भेदभाव मत कीजिये। बेटी भी वो सब कर सकती है जो बेटा कर सकता है। समान परवरिस कर के तो देखिये बेटियां क्या कुछ नहीं कर सकती है।"


"रोशनी तुम सही कह रही हो,मुझे माफ कर दो, अपने होने वाले बच्चे के बारे मे मैंने ऐसा सोचा, ये सही नहीं है।

रही बात माँ की तो उनको बोलने दो जो बोलना है।"

रोशनी राकेश से तो कुछ बोली नहीं, लेकिन मन ही मन सोचते हुए खुद से कहा-" रोशनी, लंबी लडाई है,कमर कस  ले , ये भेदभाव तो परिवार से खत्म करना ही होगा।

                            (लेखक:- prb)

नोट:- इस बेहतरीन कहानी के सभी पात्र काल्पनिक हैं और लेखक का नाम उनके आदेशानुसार गुप्त रखा गया है। यह लेखक की स्वरचित व मौलिक रचना है। जिसे साहित्य आजकल टीम द्वारा प्रकाशित किया गया है।







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