•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
शब्दों को इंद्रधनुषी रंग देती है
रेखा भारती मिश्रा की कविताएं !:सिद्धेश्वर
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
" मन के भाव और मन की
अभिव्यक्ति कविता !:डॉ सविता मिश्रा मागधी
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
[] पटना 28/03/2022 ! रेखा भारती मिश्रा के भीतर दृढ़ निश्चय, आत्मविश्वास और समाज की विसंगतियों को करीब से महसूस करने की अद्भुत क्षमता है l इसलिए जीवन के विविध रंग उनकी कविताओं में कैद हो गई है- "पसीने को बहाकर खूब, वो रोटी कमाते हैं /,लहू से खींचकर हर ईंट को, वो घर बनाते हैं ll
" यह संतोषजनक स्थिति है कि अधिकांश कवितााओं में छंद के प्रति उनका गहरा लगाव रहा है l इस कारण ही इस संग्रह की अधिकांश कविताएं आम पाठकों के लिए पठनीय बन पड़ी है l कविता के इस संकटकाल में इतनी सी उपलब्धि भी किसी कवि या कवयित्री के लिए कम नहीं है l"
युवा कवयित्री रेखा भारती मिश्रा की पुस्तक " इंद्रधनुष " पर संक्षिप्त टिप्पणी देते हुए, संस्था के अध्यक्ष सिद्धेश्वर ने उपरोक्त उद्गार व्यक्त किया l भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वाधान में, फेसबुक के " अवसर साहित्यधर्मी पत्रिका " के पेज पर आयोजित " हेलो फेसबुक कवि सम्मेलन " का!
कवि सम्मेलन के आरंभ में " पुस्तकनामा " पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि -" इस समीक्षित काव्य कृति में, मुक्तछंद कविताओं के साथ-साथ, रेखा भारती मिश्रा ने, छंदात्मक कविताओं को भी प्रस्तुत किया है, बगैर मात्रा के गणितीय जोड़ घटाव के l इसे आप गीत, गजल का नाम दे या न दे, लेकिन पाठकों के हृदय में गीत ग़ज़ल का एहसास करा जाती है, रेखा भारती मिश्रा की कविताएं - " मन में इक आस को हर पल जगाए रखना l/ दिल में उम्मीद का दिया जलाए रखना l!"
. अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ सविता मिश्रा मागधी ( बेंगलुरु ) ने कहा कि - " कविता सिर्फ शब्द नहीं होती मन के भाव और मन की अभिव्यक्ति होती है l कवि की सरस्वती मां के प्रति सच्ची आराधना का प्रतिफल है कविता l लगभग दो साल से लगातार कविता पर ऑनलाइन विचार विमर्श करते हुए, कवि सम्मेलन के संयोजक सिद्धेश्वर जी सरस्वती मां की सच्ची आराधना कर रहे हैं, और कई भावी कवि /कवयित्री को पल्लवित किये हैं l ऐसे आयोजन , काव्य सृजन को बहु आयामी स्वरूप प्रदान करते हैं ! कविता के प्रति समर्पित इन कवियों में ही कल कोई निराला, पंत, महादेवी या नेपाली बनते हैं !"
दूसरी तरफ मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रेखा भारती मिश्रा ने कहा कि - " कविता वाक्य रचना का वह प्रकार है जिसमें कुछ चुने हुए शब्दों द्वारा कल्पना और मनोभावों को भावपूर्ण ढंग से कलमबद्ध किया जाता है । वर्तमान दौर में कविताओं का रूप बेहतर हुआ है । ऐसे कई कवि , कवयित्रियाँ हैं जो आज बेहतरीन कविताएँ लिख रहे हैं । अभी के काव्य लेखन में सबसे बड़ी बात यह देखने को मिलती है कि लोग फिर से छंद एवं विधाओं की तरफ बढ़ रहे हैं । कई ऐसे छंद भी जो बीच में कहीं गुम होते दिख रहे थे उसे खूब लिखा और पढ़ा भी जा रहा है । मुक्तछंद की कविताएं भी दिल को छूती है बशर्ते उसको लिखने में शब्द-विन्यास के साथ भावों की बेहतरीन अभिव्यक्ति हो। एक रचनाकार के तौर पर मैं लेखन में संतुष्टि के भाव को शामिल नहीं करना चाहती क्योंकि इससे लेखन का दायरा सिमटता हुआ महसूस होता है । वर्तमान में अच्छी कविताएं भी देखने को मिल रही है और भविष्य में और भी बेहतरीन रचनाओं का इंतजार है । "
इस भव्य राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में, देशभर के दो दर्जन से अधिक कवियों ने अपनी हिस्सेदारी दी, जिनमें रेखा भारती मिश्रा ने -" काम ऐसा कोई तुम करो दोस्तों, इस जहां में अमर तुम रहो दोस्तों !"प्रियंका श्रीवास्तव शुभ्र ने -" लैपटॉप ने किया कमाल, हर बच्चे अब करे धमाल !"/रामनारायण यादव (सुपौल ) ने -" सुबह में चाय की गरमाहट देती है, मजबूत रिश्ते की आहट !"/सपना चंद्रा ( भागलपुर ) ने -" कभी ज्वार सा, कभी उद्गार सा, मन के भाव पिरोती है कविता !, कभी सुलगती, कभी सुबकती, अधूरे नींद से जगाती है कविता !"/डॉ सविता मिश्रा मागधी ( बेंगलुरु ) ने -" हमारी विपदा किसी को ना दिखी, जलील होते रहें हम तार तार, पुरुषों की निर्मम हत्या कर, बहू बेटियों से किया सामूहिक बलात्कार !" / हरि नारायण हरि (समस्तीपुर )ने -" सत्ता का षड्यंत्र, युद्ध का बजा नगाड़ा है !, धुंआ - धुंआ आकाश, गिद्ध ने पंख पसारा है !" अभिमत नारायण कौशिक ने -" मैं गा नहीं सकता महलों का गाना अभी, जब हर दिल में बसा हो श्मशान अभी !"/ डॉ एल एन मिश्रा ने -" चलता चलता आया वह सूखा पत्ता, खिड़की से,आ टपका वह मेरी गोद में !"/ कनक हरलालका ने -" एक नन्ही सी चिड़िया, ना जाने कहां से आंगन में आ गई, मन को लुभा गए !!/ मुरारी मधुकर ने -" चाहत नहीं की हस्तियों से निमंत्रण और मान मिले, बस चाहत यही कि, साहित्य की डगर पर मनभावन कदम निरंतर बढ़ता चले !"/ रिमझिम झा (उड़ीसा ) ने -" मां सखी है, मां सहेली, मां मीठी मुस्कान !"/ सिद्धेश्वर ने - इंसान को पहले इंसान होना चाहिए ! फिर कोई धर्म या ईमान होना चाहिए !!/ ऋचा वर्मा ने -" तुम्हारा दिख जाना, जैसे दिख जाना बचपन का, जैसे अतीत की गलियों से आती कोई सुरीली आवाज !"/ राज प्रिया रानी ने -" पत्थरों की व्यथा निराली, दर्द से रहना हमदर्दी, जरा सी घर्षण में उगलता शोलों की चिंगारी !"/ विजयानंद विजय ( बोधगया ) ने- " जब जीत की खुशी आसमान में, तिरंगा लहराता है, राष्ट्रधुन बजती है, और किसी सिराज की आंखों से खुशी के आंसू बरसते हैं, तो देश होता है !"/ नीलम नारंग ने -" उन उजले चंद लम्हों की कसक बाकी है, आज भी तुझसे मिलने की ललक बाकी है !"/ मीनाक्षी श्रीवास्तव (लखनऊ) ने -" मैं एक बेल सी, एक बूंद जल मिल जाए !/ श्रीकांत ( झांसी) - बात ही बात में एक मुलाकात में, प्यार के रंग चेहरे पर छाने लगे l/ नीलू अग्रवाल ने - धीरे धीरे बढ़ना साथी, हौले हौले बढ़ना साथी ! जैसी कविताओं से सैकड़ों श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया l इनके अतिरिक्त संतोष मालवीय, सोहेल फारुकी, नरेश सक्सेना, बृजेंद्र मिश्रा, खुशबू मिश्र, डॉ सुनील कुमार उपाध्याय, अनिरुद्ध झा दिवाकर, बीना गुप्ता, स्वास्तिका, सत्यम, अभिषेक आदि की भी भागीदारी रही।
🇧🇩🇧🇼🇧🇩🇧🇼🇧🇩🇧🇼🇧🇩🇧🇼🇧🇩🇧🇼🇧🇩🇧🇼🇧🇩🇧🇼🇧🇩
======( प्रस्तुति : ऋचा वर्मा ( सचिव ) / एवं सिद्धेश्वर ( अध्यक्ष ) भारतीय युवा साहित्यकार परिषद)
🇧🇼🇧🇼🇧🇼🇧🇼🇧🇼🇧🇼🇧🇼🇧🇼🇧🇼🇧🇼🇧🇼🇧🇼🇧🇼
यदि आप भी अपनी रचना प्रकाशित करवाना चाहते हैं या अपनी प्रस्तुति Sahitya Aajkal की Official Youtube से देना चाहते हैं तो अपनी रचना या वीडियो टीम के इस व्हाट्सएप नंबर 7562026066 पर मैसेज कर सम्पर्क करें।
Sahitya Aajkal:- एक लोकप्रिय साहित्यिक मंच 👇💞 Sahitya Aajkal Youtube Channel link plz Subscribe Now ...💞👇Sahitya Aajkal Youtube से जुड़ने के लिए यहाँ click करें
यदि आप भी अपनी रचना प्रकाशित करवाना चाहते हैं या अपनी प्रस्तुति Sahitya Aajkal की Official Youtube से देना चाहते हैं तो अपनी रचना या वीडियो टीम के इस Whatsapp न0- 7562026066 पर भेज कर सम्पर्क करें।
कवि सम्मेलन की वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
यदि आप कोई खबर या विज्ञापन देना चाहते हैं तो सम्पर्क करें।
Email:- sahityaaajkal9@gmail.com
Whatsapp:- 7562026066
संस्थापक:- हरे कृष्ण प्रकाश
(पूर्णियां, बिहार)
No comments:
Post a Comment