किसी दिन खुद के लिए :- पुष्पा बरनवाल
जिंदगी मेरे घर आना,
खोल के पिंजरा किसी दिन मुस्कुराना।
तुम आना तो संग खिले दुनिया सारी,
क्या फुल क्या कांटें हंसे दुनिया सारी।
पलकों पे खिले उस दिन नऐ सपनें,
सभी के हों पूरे अधूरे हर सपनें।
किसी दिन खुद के लिए चहचहाना,
खोल के पिंजरा किसी दिन मुस्कुराना।
हो आसमां की छत और तारों की चादर,
मिलें सुकून कुछ पल के तेरे छांव में आकर।
जिंदगी मेरे घर आना,
खोल के पिंजरा किसी दिन मुस्कुराना।
✍️ पुष्पा बरनवाल
पब्लिश नेम और जगह में
गांव- बोड़वा(जमुई)
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