पुस्तक
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अ से श्र तक पुस्तक से पढ़कर।
ए से जेड तक पुस्तक से रटकर ।
वर्ण शब्द वाक्य से अनुराग किया ।
पहाड़ा गिनती जोड़ गुणा भाग किया।
पलट पलट कर पन्ने देख-देख चित्र ।
पुस्तक को बना लिया सच्चा मित्र।
प्राथमिक से महाविद्यालय तक ।
मैदान से हिमालय तक ।
लोग भोग रोग निरोग का।
पाप -पुण्य प्रेम -घृणा संयोग -वियोग का ।
पुस्तक से सबको ज्ञान मिला।
ज्ञान से विज्ञान , मानव को वरदान मिला।
पुस्तक में है माँ सरस्वती।
अदृश्य रूप में विराजती।
बनाती बुद्धिमान एवं बुद्धिमती ।
इसीलिए सबकी अलग-अलग गति।
पुस्तक से रहता जो अनजान।
उस अज्ञानी की अलग पहचान ।
पुस्तक से होता शंका समाधान ।
शिक्षक बन बाँटते सबको ज्ञान ।
कोई बन मजदूर किसान ।
पालन करता सकल जहान ।
चिकित्सक बन सेवा करते ।
वकील अन्याय से लड़ते।
पुस्तक है सबका आधार।
हृदय से इसे करें प्यार।
पुस्तक से ही बनती छवि।
समाज सुधारक लेखक कवि ।
पुस्तक ज्ञान का भंडार है।
पुस्तक मेरा घर द्वार संसार है ।
जहाँ भी मिले ये सम्मान करें ।
ज्ञान को हृदय में ध्यान करें ।
हर धर्म का पुस्तक मेरे माथे का चंदन है ।
विश्व के सभी पुस्तकों को मेरा नमन है , वंदन है।
रामकुमार पटेल'सोनादुला'अकलतरा
जिला-जाँजगीर चांपा छग
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