दिखावे के इस दौर में
सब दिखावा कर रहें हैं
अंंधी दौड़ में शामिल
होकर भागें जा रहें हैं
चेहरे पर मेकअप कर
दाग़ धब्बे छिपा रहें हैं
फेंककर पैसा हर जश्न में
अपना जलवा दिखा रहें हैं
सच से कोसों दूर हैं
झूठ का परचम लहरा रहें हैं
बाज़ार की इस दुनिया में
अच्छा बुरा सब बिक रहा हैं
जो चल गया ज़माने में
उसका सिक्का छा रहा हैं
पहचान हों जिसकी सबसे
आसमान का सितारा वो बन जाता हैं
नहीं तो रह जाता ज़माने से पीछे
ठोकर मारकर सब आगे बढ़ जाते हैं
हैं ये ही दस्तूर इस जहां का
जो आज चमक रहे हैं
कल वो धुंधले पड़ जाएंगे
✍️ सुरभि ( इंदौर )
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