" कहा -अनकहा के विविध संदर्भों से परिपूर्ण हैं
कनक हरलालका की लघुकथाएं !" : सिद्धेश्वर
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
" हिंदी में तो आज सभी उस्ताद बन गए हैं ! ":डॉ योगेंद्र
नाथ शुक्ल
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
" बिना ठोस अध्ययन के सृजन थोथा व निरर्थक होता है !": प्रो. शरद नारायण खरे
________________________________________
" लघुकथा में संवाद अदायगी का महत्वपूर्ण हस्तक्षेप होता है, जिसमें कनक हरलालका ने दक्षता प्राप्त कर रखी है l कहा - अनकहा के विविध संदर्भों से परिपूर्ण हैं कनक हरलालका की लघुकथाएं !"
भारतीय युवा साहित्यकार परिषद के तत्वाधान में फेसबुक के "अवसर साहित्यधरर्मी पत्रिका "के पेज पर आयोजित " हेलो फेसबुक लघुकथा सम्मेलन " में, कनक हरलालका की पुस्तक "कहा -अनकहा "की समीक्षा करते हुए उपरोक्त विचार संयोजक सिद्धेश्वर ने व्यक्त किये !
" गहन अध्ययन के बिना लघुकथा सृजन कितना घातक ?" विषय पर चर्चा करते हुए सिद्धेश्वर ने कहा कि - " सृजन चाहता है कि उसका सृजनकर्ता पहले उस विधा का पूरी तरह ईमानदारी से अध्ययन करें l बार-बार अभ्यास करें l हमारी एक हज़ार कविताओं, लघुकथाओं, कहानियों के सृजन के पीछे दस हज़ार से अधिक रचनाओं के अध्ययन का हाथ है और मेरा यह भी मानना है कि गंभीर अध्ययन ही श्रेष्ठ सृजन की कलम है l "
लघुकथा सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध कथाकार डॉ योगेंद्र नाथ शुक्ल ने कहा कि - " लघुकथा ही नहीं आप किसी भी विधा में सृजन करें, अध्ययन तो अनिवार्य है। वही तो लेखक की खुराक है। साहित्य अध्ययन ही तो उसकी पाठशाला होती है। उर्दू में उस्ताद जैसी परंपरा का निर्वाह कम या ज्यादा, आज भी हो रहा है पर हिंदी में तो आज सभी उस्ताद बन गए हैं! ऐसी स्थिति में नए लेखक और कवि सीखेंगे कैसे? किताबों का संसार बहुत व्यापक है। साहित्य संदर्भित हर सवाल का जवाब उनमें मौजूद है। हम उन्हें पढ़ कर अपने लेखन में सुधार ला सकते हैं। "
मुख्य अतिथि कनक हरलालका (असम ) ने कहा कि -" लघुकथा के वामन कलेवर में निहित विराटता का चित्रण करने के लिए हमें अध्ययन की गहराई में उतर कर मोती खोज कर लाने होंगे। तभी हमारे द्वारा रचित साहित्य समाज में प्रासंगिक एवं चिरस्थायी बना रह सकता है।"
विशिष्ट अतिथि डॉ शरद नारायण खरे (म. प्र. )ने कहा कि -" लघुकथा का मतलब कोई संस्मरण, प्रेरक प्रसंग,आत्मकथ्य या चुटकुला नहीं होता है। वैसे भी हर विधा का सृजन संपादित करने के पूर्व उस विधा के सुदीर्घ अध्ययन की आवश्यकता होती है,तभी पैनी व प्रभावी लघुकथाओं का प्रणयन संभव है ।बिना समसामयिक हालातों,प्रभावी लघुकथाओं व अच्छी कहानियों के गहन अध्ययन के प्रभावशाली लघुकथाओं का सृजन संभव नहीं है । कहा भी गया है कि बिना ठोस अध्ययन के सृजन थोथा व निरर्थक ही सिद्ध होता है।"
राज प्रिया रानी ने कहा -".लघुकथा के नाम पर छोटी कथा लोग परोस देते हैं l अज्ञानता या यूं कहें स्वयं को बढ़ा चढ़ाकर प्रस्तुत करने की जोश में छोटी कथा को लघुकथा का नाम दे देतें हैं ऐसा कर विधा के साथ अन्याय करतें हैं । लघुकथाकार के पास बहुत ज्यादा शब्द खर्च करने की स्वतंत्रता नहीं होतीl कम शब्दों में पूरी बात भी कहनी होती है और संदेश भी शीशे की तरह साफ कर देना होता है, जिसके लिए गहन अध्धयन जरूरी है l "
इस ऑनलाइन लघुकथा सम्मेलन में देश भर के लघुकथाकारों ने भाग लिया जिनमें रिमझिम झा ( कटक, उड़ीसा ) ने " कर अदा कर "/ रशीद गौरी (राजस्थान ) ने -" बदलते रंग "/ समीर उपाध्याय 'शून्य '(गुजरात ) ने -" मां की महेच्छा "/ विजयानंद विजय(बोधगया ) ने " कड़वाहट "/ चेतना भाटी ( इंदौर ) ने " पानी रे पानी "/ सेवासदन प्रसाद ( मुंबई)ने " सार्थकता "/ मंजू सक्सेना (लखनऊ) ने -" इंसानियत "/ डॉ संध्या तिवारी ( पीलीभीत ) ने -" सदाबहार "/ ऋचा वर्मा ने "जिजीविषा "/ डॉ पुष्पा जमुआर ने " मर्यादा "/ डॉ योगेंद्र नाथ शुक्ल (इंदौर ) ने -" टूटता साहस!"/ सिद्धेश्वर ने "खुदगर्ज "/ राज प्रिया रानी ने "उड़ान "/ रामनारायण यादव ( सुपौल ) ने " हमारी हैसियत "/ पूनम कतरियार ने "थोथा "/ शशि दीपक कपूर ने " श्रृंगार " लघुकथाओं का पाठ किया l " सुनो लघुकथा "के तहत अमर कथाकार सुनो लघुकथा के अंतर्गत कन्हैया लाल प्रभाकर, हरिशंकर परसाई और विष्णु प्रभाकर की लघुकथाएं, सिद्धेश्वर ने एक वीडियो के माध्यम से प्रस्तुत किया l
इसके अतिरिक्त आराधना प्रसाद, दुर्गेश मोहन, संतोष मालवीय, ज्योत्सना सक्सेना, बृजेंद्र मिश्रा, ललन सिंह, खुशबू मिश्र, डॉ सुनील कुमार उपाध्याय, अनिरुद्ध झा दिवाकर, बीना गुप्ता, स्वास्तिका, अभिषेक आदि की भी भागीदारी रही।
🇧🇼🇧🇩🇧🇼🇧🇩🇧🇼🇧🇩🇧🇼🇧🇩🇧🇼🇧🇩🇧🇼🇧🇩🇧🇼.🇧🇩
•••( प्रस्तुति : ऋचा वर्मा ( सचिव ) / एवं सिद्धेश्वर ( अध्यक्ष )
( भारतीय युवा साहित्यकार परिषद)
🇧🇼🇧🇼🇧🇼🇧🇼🇧🇼🇧🇼🇧🇼🇧🇼🇧🇼🇧🇼🇧🇼🇧🇼🇧🇼🇧🇼
यदि आप भी अपनी रचना प्रकाशित करवाना चाहते हैं या अपनी प्रस्तुति Sahitya Aajkal की Official Youtube से देना चाहते हैं तो अपनी रचना या वीडियो टीम के इस व्हाट्सएप नंबर 7562026066 पर मैसेज कर सम्पर्क करें।
Sahitya Aajkal:- एक लोकप्रिय साहित्यिक मंच 👇💞 Sahitya Aajkal Youtube Channel link plz Subscribe Now ...💞👇Sahitya Aajkal Youtube से जुड़ने के लिए यहाँ click करें
यदि आप भी अपनी रचना प्रकाशित करवाना चाहते हैं या अपनी प्रस्तुति Sahitya Aajkal की Official Youtube से देना चाहते हैं तो अपनी रचना या वीडियो टीम के इस Whatsapp न0- 7562026066 पर भेज कर सम्पर्क करें।
कवि सम्मेलन की वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
यदि आप कोई खबर या विज्ञापन देना चाहते हैं तो सम्पर्क करें।
Email:- sahityaaajkal9@gmail.com
Whatsapp:- 7562026066
संस्थापक:- हरे कृष्ण प्रकाश
(पूर्णियां, बिहार)
No comments:
Post a Comment