हे मजदूर मैं तुझ पर क्या क्या लिखूं?- राम रतन श्रीवास "राधे राधे"
शीर्षक:- "मजदूर"
हे मजदूर मैं तुझ पर क्या क्या लिखूं?
मानव विकास की हर ओ गाथा लिखूं।
या मजबूरी भरी व्यथा की कथा लिखूं।।
हर तड़पती पेट की ओ ज्वाला लिखूं।
या जीवन संघर्ष की ओ दास्तां लिखूं।।
हे मजदूर मैं तुझ पर क्या क्या लिखूं?
चिलचिलाती धूप देह से गंगा जैसी धार लिखूं।
या कड़कड़ाती ठंड ललाट की ओस बूंद लिखूं।।
हर उम्र मजदूरी और मजबूरी के ओ साख लिखूं ।
या किसी मजदूर शासक तसल्ली की बात लिखूं।।
हे मजदूर मैं तुझ पर क्या क्या लिखूं?
मजदूर के गगनचुंबी इमारत में योगदान लिखूं।
या परिवार भरण पोषण में सहयोग लिखूं।।
हर गरीबी शिक्षा में मजदूर के आधार लिखूं।
या नसीब में मजदूरी नियति को साफ लिखूं।।
हे मजदूर मैं तुझ पर क्या क्या लिखूं?
हर असहाय जनों के तुम्हारा वरदान लिखूं।
या बिन योग्यता के तेरी हर पहचान लिखूं।।
हर ओ शक्श के बेरोजगारी भरी जवानी लिखूं।
या ओ जवानी में ही बुढ़ापे की शिकन लिखूं।।
हे मजदूर मैं तुझ पर क्या क्या लिखूं ?
कोई मज़हब नहीं मजदूरी के मेहनताना लिखूं।
या शकून भरी नींद बिन दवा के सौगात लिखूं।।
कोई गिला शिकवा नहीं ईश का धन्यवाद लिखूं।
यहांँ सभी मजदूर हैं उसका मैं हिस्सा हूँ लिखूं।।
हे मजदूर मैं तुझ पर क्या क्या लिखूं?
*****************************
राम रतन श्रीवास "राधे राधे"
बिलासपुर छत्तीसगढ़
सूचना:- साक्षात्कार देने हेतु यहाँ क्लिक करें
👆👆
यदि आप भी अपनी रचना प्रकाशित करवाना चाहते हैं या अपनी प्रस्तुति Sahitya Aajkal की Official Youtube से देना चाहते हैं तो अपनी रचना या वीडियो टीम के इस Whatsapp न0- 7562026066 पर भेज कर सम्पर्क करें।
कवि सम्मेलन की वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
यदि आप कोई खबर या विज्ञापन देना चाहते हैं तो सम्पर्क करें।
Email:- sahityaaajkal9@gmail.com
Whatsapp:- 7562026066
संस्थापक:- हरे कृष्ण प्रकाश (पूर्णियां, बिहार)
No comments:
Post a Comment